शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का पत्र

शहीद राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी का पत्र

भगतसिंह काकोरी के शहीद राजेन्द्र लाहिड़ी से इतने प्रभावित हुए कि अपने सबसे छोटे भाई, जिसका जन्म 1927 में हुआ, का नाम उन्होंने राजेन्द्र रखा। इसका एक कारण यह था कि राजेन्द्र लाहिड़ी वैचारिक स्तर पर अपने साथियों से आगे थे। यह पत्र भगतसिंह की टिप्पणी सहित अक्टूबर, 1927 में ‘किरती’ में छपा। – स.

मैं फिर जन्म लूँगा

काकोरी षड्यन्त्र केस में जिन चार भाइयों को फाँसी की सज़ा हुई है उनके नाम ये हैं – 1. रामप्रसाद 2. राजिन्द्रनाथ लाहिड़ी 3. रोशन सिंह 4. अशफ़ाक़उल्ला खान।

इनमें से राजिन्द्रनाथ लाहिड़ी, एम.ए. कक्षा का छात्र था। वह बनारस हिन्दू विश्वविद्यालय में पढ़ता था। वह 1925 में पकड़ा गया था। इसकी अपील व रहम की दरख़्वास्त की गयी थी, लेकिन वे सब नामंज़ूर हो गयीं।

इस बहादुर भाई ने निम्न पत्र अपने बड़े भाई को लिखा है।

मेरे प्रिय भाई!

आज मुझे सुपरिण्टेण्डेण्ट ने बताया कि वायसराय ने मेरी रहम की दरख़्वास्त नामंज़ूर कर दी है। जेल के नियमों के अनुसार मुझे एक सप्ताह के भीतर फाँसी पर चढ़ाया जायेगा। तुम्हें मेरे लिए अफ़सोस नहीं करना चाहिए क्योंकि मैं अपना पुराना शरीर छोड़कर नया जन्म धारण कर रहा हूँ। आपको यहाँ आकर मुलाक़ात करने की ज़रूरत नहीं, क्योंकि कुछ दिन पहले ही आप मुलाक़ात कर चुके हो। जब मैं लखनऊ में था तो बहिन ने दो बार मुलाक़ात की थी। सभी को मेरी ओर से प्रणाम और लड़कों को प्यार।

आपका प्रिय

राजेन्द्रनाथ लाहिड़ी

इस पत्र ने हमें फिर करतार सिंह सराभा और भाई पिगले आदि का समय याद दिला दिया है और हमारे पुराने घावों को हरा कर दिया है।


शहीद भगतसिंह व उनके साथियों के बाकी दस्तावेजों को यूनिकोड फॉर्मेट में आप इस लिंक से पढ़ सकते हैं। 


Bhagat-Singh-sampoorna-uplabhdha-dastavejये लेख राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित ‘भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़’ से लिया गया है। पुस्तक का परिचय वहीं से साभार – अपने देश और पूरी दुनिया के क्रान्तिकारी साहित्य की ऐतिहासिक विरासत को प्रस्तुत करने के क्रम में राहुल फाउण्डेशन ने भगतसिंह और उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर जागरूक नागरिकों और प्रगतिकामी युवाओं तक पहुँचाया है और इसी सोच के तहत, अब भगतसिंह और उनके साथियों के अब तक उपलब्ध सभी दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है।
इक्कीसवीं शताब्दी में भगतसिंह को याद करना और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का उपक्रम एक विस्मृत क्रान्तिकारी परम्परा का पुन:स्मरण मात्र ही नहीं है। भगतसिंह का चिन्तन परम्परा और परिवर्तन के द्वन्द्व का जीवन्त रूप है और आज, जब नयी क्रान्तिकारी शक्तियों को एक बार फिर नयी समाजवादी क्रान्ति की रणनीति और आम रणकौशल विकसित करना है तो भगतसिंह की विचार-प्रक्रिया और उसके निष्कर्षों से कुछ बहुमूल्य चीज़ें सीखने को मिलेंगी।
इन विचारों से देश की व्यापक जनता को, विशेषकर उन करोड़ों जागरूक, विद्रोही, सम्भावनासम्पन्न युवाओं को परिचित कराना आवश्यक है जिनके कन्धे पर भविष्य-निर्माण का कठिन ऐतिहासिक दायित्व है। इसी उदेश्य से भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़ों का यह संकलन प्रस्तुत है।
आयरिश क्रान्तिकारी डान ब्रीन की पुस्तक के भगतसिंह द्वारा किये गये अनुवाद और उनकी जेल नोटबुक के साथ ही, भगतसिंह और उनके साथियों और सभी 108 उपलब्ध दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है। इसके बावजूद ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ?’ जैसे कर्इ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों और जेल नोटबुक का जिस तरह आठवें-नवें दशक में पता चला, उसे देखते हुए, अभी भी कुछ सामग्री यहाँ-वहाँ पड़ी होगी, यह मानने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। इसीलिए इस संकलन को ‘सम्पूर्ण दस्तावेज़’ के बजाय ‘सम्पूर्ण उपलब्ध’ दस्तावेज़ नाम दिया गया है।

व्यापक जनता तक पहूँचाने के लिए राहुल फाउण्डेशन ने इस पुस्तक का मुल्य बेहद कम रखा है (250 रू.)। अगर आप ये पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो इस लिंक पर जायें या फिर नीचे दिये गये फोन/ईमेल पर सम्‍पर्क करें।

जनचेतना से पुस्तकें मँगाने का तरीका:

  • जनचेतना पर उपलब्ध पुस्तकों को आप डाक के ज़रिये मँगा सकते हैं ।
  • पुस्तकें ऑर्डर करने के लिए ईमेल अथवा फोन से सम्पर्क करें।
    • ईमेल : info@janchetnabooks.org
    • फोन : 08853093555; 0522-2786782
    • पता: डी-68, निरालानगर, लखनऊ-226020
    • वेबसाइट: http://janchetnabooks.org/
  • जनचेतना का बैंक अकाउंट (ऑनलाइन या चेक/ड्राफ्ट से भुगतान के लिए):
    जनचेतना पुस्तक प्रतिष्ठान समिति
    अकाउंट नं: 0762002109003796
    पंजाब नेशनल बैंक
    निशातगंज
    लखनऊ
    IFSC Code: PUNB0076200

Related posts

Leave a Comment

19 + four =