इन सैनिक झड़पों, जंगों और युद्धोन्माद का खामियाजा कौन भुगतता है? ज़ाहिर सी बात है जनता! उसी के नौजवान बेटे-बेटियाँ सीमा पर मरते हैं। युद्धोन्माद पर अपनी राजनीतिक रोटियाँ सेंकने वाले नेताओं और अपने दिल का गुबार निकालने वाले नफरती चिण्टूओं को इस बात का ज़रा भी अहसास नहीं होता है कि इस दौरान उन सैनिकों के घरों में कैसा ग़मज़दा माहौल होता है जिन्हें बदला लेने के “नायक” बनाकर ये जंग की भट्ठी में झोंकवा देना चाहते हैं! और जनता के असल मुद्दों को भी युद्धोन्माद के ज़हरीले माहौल में गायब कर दिया जाता है। सम्राज्यवादी युद्धों और युद्धोन्माद से फ़ायदा किसको होता है? ज़ाहिर सी बात है पूँजीपतियों और उनकी चाकर सरकारों को। क्योंकि एक तो युद्धों के दौरान पूँजीपतियों को हथियारों के कारोबार का अवसर मिलता है। पूँजीवादी हथियार उद्योग आम निर्दोषों के ख़ून की कीमत पर ही फलता-फूलता है। दूसरा, युद्धों के दौरान हुए विनाश के कारण पूँजीनिवेश की नयी सम्भावनाएँ पैदा होती हैं और तीसरा इस दौरान जनता को उसके हक़ों से वंचित करने वाली डाँवाडोल व्यवस्था भरभराकर गिरने की बजाय फ़िर से ताल ठोकने लायक हो जाती है। युद्ध और क्षेत्रीय झड़पें तब तक लोगों के जीवन को लीलते रहेंगे जब तक इनकी पोषक पूँजीवादी व्यवस्थाएँ बरकरार रहेंगी। इसलिए हमारी ताकत एक समतामूलक-शोषणविहीन समाज के निर्माण के लिए लगनी चाहिए। युद्धोन्माद में बहना हमारे लिए अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मारना होगा। मेहनतकश जनता को अपने-अपने देशों की सरकारों पर देश को जंग में झोंकने के ख़िलाफ़ दबाव बनाना चाहिए तथा अपने असल हक़-अधिकारों को एक पल के लिए भी भूलना नहीं चाहिए।
Author: नौजवान भारत सभा
Pahalgam Terror Attack: Who Is Responsible for the Lapses in the Safety of Tourists and Ordinary Citizens!?
So Much for the Claims of Peace in Kashmir! Who Is Responsible for the Lapses in the Safety of Tourists and Ordinary Citizens!?
Expose and Defeat the Sangh’s Conspiracies Aimed at Using the Pahalgam Terror Attack to Stoke Communal Fire Across the Country!
पहलगाम आतंकी हमला : सैलानियों और आम नागरिकों की सुरक्षा में चूक के लिए कौन है ज़िम्मेदार !?
कश्मीर में शान्ति स्थापना के दावे हुए हवा! सैलानियों और आम नागरिकों की सुरक्षा में चूक के लिए कौन है ज़िम्मेदार !?
पहलगाम चरमपन्थी हमले को बहाना बनाकर देशभर को साम्प्रदायिकता की आग में
झोंकने की संघी साज़िशों को नाकाम करो !
फ़िलिस्तीनी अवाम का मुक्ति संघर्ष ज़िन्दाबाद!!
फ़िलिस्तीनी अवाम का मुक्ति संघर्ष ज़िन्दाबाद!! जॉर्डन नदी से भूमध्य सागर तलक, आज़ाद होगा फ़िलिस्तीनी मुल्क! फ़िलिस्तीनी जनता के जुझारू प्रतिरोध के चलते ज़ायनवादी इज़रायल फ़िलहाल पीछे हटने को मजबूर हो गया है। पन्द्रह महीने चली इस लड़ाई के दौरान इज़रायल ने इसके सहयोगी साम्राज्यवादी देशों की मदद से फ़िलिस्तीन में भयानक क़त्लेआम को अंजाम दिया है। ग़ौरतलब है कि हालिया युद्ध की शुरुआत 7 अक्टूबर 2023 को, इज़रायली औपनिवेशिक क़ब्ज़े के ख़िलाफ़ हमास के प्रतिरोधी हमले से हुई। साम्राज्यवादी और गोदी मीडिया इस घटना को आतंकवादी हमले के रूप…
Statement against Mass Layoffs in the IT/ITes Sector
Statement against Mass Layoffs in the IT/ITes Sector On the 7th of February, 700 trainees were laid off by Infosys at its Mysore campus. These trainees, who had to wait for 2.5 years after their graduation to finally start their careers at Infosys in September 2024, are now jobless just six months later. They were asked to come in batches of 50 to submit their laptops and were escorted into a room with security personnel and bouncers stationed outside. Several trainees were abruptly asked to vacate the Mysuru campus…
Step forward in support of the struggling students of Jamia Millia Islamia and against the brutality perpetrated by the Jamia administration and the police!
Step forward in support of the struggling students of Jamia Millia Islamia and against the brutality perpetrated by the Jamia administration and the police! Attacks on democratic rights will not be tolerated! Before dawn on 13th February 2025, Delhi Police entered the campus of Jamia Millia Islamia, beat up the protesting students, and detained them. The students were beaten up by the police in custody, and their whereabouts were not revealed for a long time. The recent series of protests started on 16 December 2024 when the university administration…
जामिया मिलिया इस्लामिया के संघर्षरत छात्रों के समर्थन में और जामिया प्रशासन व पुलिस द्वारा बरपायी गयी बर्बरता के ख़िलाफ़ आगे आओ!
जामिया मिलिया इस्लामिया के संघर्षरत छात्रों के समर्थन में और जामिया प्रशासन व पुलिस द्वारा बरपायी गयी बर्बरता के ख़िलाफ़ आगे आओ! जनवादी अधिकारों पर हमले नहीं सहेंगे! 13 फ़रवरी 2025 को भोर होने से पहले दिल्ली पुलिस जामिया मिलिया इस्लामिया के परिसर में प्रवेश करती है और प्रदर्शनकारी छात्रों के साथ मारपीट कर उन्हें हिरासत में लेती है। छात्रों के साथ हिरासत में पुलिस द्वारा मारपीट की जाती है एवं उनके ठिकाने भी काफ़ी समय तक उजागर नहीं किये जाते। हालिया प्रदर्शन का सिलसिला 16 दिसम्बर 2024 से…
देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ एकजुट हो !
देश में बढ़ती साम्प्रदायिकता के ख़िलाफ़ एकजुट हो ! साथियो, फ़ासीवादी भाजपा के सत्ता में बैठे एक दशक से ज़्यादा समय बीत चुका है। इस एक दशक में भाजपा और संघ परिवार ने बहुत व्यवस्थित ढंग से राज्य और समाज के ढाँचे का फ़ासीवादीकरण करने का हर सम्भव प्रयास किया है। योजनाबद्ध ढंग से नये-नये साम्प्रदायिक प्रोजेक्ट खड़े करके पूरे समाज में नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने वाली बयानबाज़ियों से लेकर गोदी मीडिया द्वारा नफ़रती उन्माद पैदा करने वाले कार्यक्रमों और ख़बरों का प्रसारण…
मोबाइल, टीवी के ज़हर से अपने बच्चों को बचाओ! कुसंस्कृति के कचरे को अपने और अपने बच्चों के दिमाग़ से बाहर निकालो!!
आज पूरे देश में मोबाइल, सोशल मीडिया और टेलीविजन आदि के माध्यम से जो अमानवीय कचरा हमारे बच्चों के दिमागों में भरा जा रहा है उसके बारे में क्या हमने कभी सोचा है? क्या हमने सोचा है कि यह कुसंस्कृति किस तरह हमारे बच्चों के अन्दर संवेदनशीलता, जिज्ञासा, कल्पनाशीलता, रचनात्मकता, सामूहिकता, न्यायबोध और तर्कपरकता को विकसित होने से पहले ही उनके भीतर हिंसा, अकेलापन, स्वार्थपरता, अश्लीलता, अन्धविश्वास का ज़हर भर देता है। इसलिए अगर हम इस भयंकर स्थिति के बारे में गम्भीरता से नहीं सोचते और ज़रूरी क़दम नहीं उठाते तो यह कुसंस्कृति हमारी वर्तमान पीढ़ी को तो बर्बाद ही कर रही है लेकिन आने वाली पीढ़ियों की मानवीय संवेदना ख़त्म कर उन्हें अमानवीयता और बर्बरता के दलदल में धकेल देगी।
मन्दिर-मस्ज़िद के नाम पर फ़र्ज़ी विवाद खड़े करके जनता को दंगाई भीड़ में तब्दील करने की संघी साज़िशों को नाकाम करो !
अतीत का हिसाब लेने का निरर्थक प्रयास करने पर कोई आमादा हो ही जाये तो उसे ऐसे हज़ारों हिन्दू मन्दिर मिल जायेंगे जिन्हें बौद्ध और जैन धर्म के मठों और उपासना स्थलों को ध्वस्त करके तथा उनकी मूर्तियों तक का स्वरूप बदलकर बनाया गया है। चोल-चालुक्य-राष्ट्रकूट शासकों से लेकर हर्षवर्धन तक अनेक राजा हुए हैं जिन्होंने एक-दूसरे के राज्य के मन्दिरों को लूटा, तोड़ा और उनका स्वरूप बदला। यदि सल्तनत व मुग़ल काल में भी ऐसी कुछ घटनाएँ हुई होंगी तो इसमें नया कुछ भी नहीं था। और असल में सल्तनत व मुग़ल दौरों का तो राज ही मुस्लिम-राजपूत शासन का मिला-जुला रूप रहा है। अतीत में हुए किसी तथाकथित अन्याय का वर्तमान में हिसाब लिया जाना न केवल अन्यायपूर्ण है बल्कि यह देश की जनता के धार्मिक सौहार्द्र में पलीता लगाने की कोशिश भी है। अतीत के गड़े मुर्दे उखाड़ने की लड़ी एक जगह नहीं रुकने वाली है। यह हमें दक्षिण अफ़्रीका तक पहुँचा देगी!