नौजवान भारत सभा के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन के पहले दो दिनों में प्रतिनिधि सत्र सम्पन्न, कल खुला सत्र व रैली
आज के अन्याय-अनाचार-भ्रष्टाचार-लूट-बर्बरता और निराशा के इस दौर में ‘गतिरोध को तोड़ने के लिए क्रान्ति की स्पिरिट ताज़ा करने’ के उद्देश्य को लेकर भगतसिंह के 107 वें जन्मदिवस के अवसर पर नौजवान भारत सभा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन 26,27,28 सितम्बर को नई दिल्ली के अंबेडकर भवन में आयोजित किया जा रहा है। भगतसिंह जैसे महान युवा क्रान्तिकारी के विचारों से प्रेरित इस संगठन के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित करने का इससे बेहतर मौका कोई नहीं हो सकता था। गौ़रतलब है कि 1926 में भगतसिंह और उनके साथियों ने औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार देने के लिए और एक नये सिरे से संगठित करने के लिए युवाओं का जो संगठन बनाया था उसका नाम भी नौजवान भारत सभा ही था। यह नाम अपने आप में उस महान क्रान्तिकारी विरासत को पुनर्जागृत करने और उसे आगे बढ़ाने के संकल्प का प्रतीक है। सम्मेलन में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, बिहार और महाराष्ट्र के अलग- अलग हिस्सों से चुने हुए 150 से भी ज़्यादा नौजवान प्रतिनिधि हिस्सा ले रहे हैं।
प्रथम दिन के प्रथम सत्र की शुरुआत नौजवान भारत सभा के झण्डारोहण से हुई। इसके बाद संयोजन समिति की तरफ से तपीश मैन्दोला ने पिछले दस वर्षों की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब हमारा देश आम जनता के बहादुर, इंसाफ़पसन्द, प्रगतिकामी युवा सपूतों से एक बार फिर उठ खड़े होने कि और आगे बढ़कर अपनी ऐतिहासिक जि़म्मेदारी को निभाने की माँग कर रहा है। रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद तपीश ने नौभास के नेतृत्व में चले जनान्दोलनों, प्रचार अभियानों और विभिन्न सांस्कृतिक और रचनात्मक कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया और बताया कि हर क्षेत्र में नौभास के कार्यकर्ताओं ने सराहनीय भूमिका निभायी। रिपोर्ट प्रस्तुत होने के बाद नौजवान भारत सभा की विभिन्न इकाइयों के प्रतिनिधियों ने रिपोर्ट पर पूरक वक्तव्य दिये जिनमें नौभास की दिल्ली की इकाई के योगेश, गाजि़याबाद की इकाई के आनन्द, नरवाना हरियाणा से आये उमेद और लुधियाना से आये छिंदर पाल शामिल थे।
भोजनावकाश के बाद दूसरे सत्र में नौभास का मसौदा घोषणापत्र और मसौदा संविधान प्रस्तावित किया गया और परिचर्चा की शुरुआत हुई। संगठन का उद्देश्य देश के बिखरे हुए युवा आन्दोलन को एक सही दिशा की समझ के आधार पर एकजुट करना और उसे व्यापक जनसमुदाय के साम्राज्यवाद-पूँजीवाद विरोधी संघर्ष के एक अविभाज्य अंग के रूप में आगे बढ़ाना है। भगतसिंह के आदर्शों के अनुगामी नौजवानों का यह दायित्व है कि वे पूँजीवादी राजनीति के छल-छद्म का भण्डाफोड़ करते हुए धार्मिक कट्टरपंथी फासिस्ट ताकतों के विरुद्ध स्वयं ज़मीनी स्तर पर एकजुट हों और व्यापक मेहनतकश आबादी को भी संगठित करें।
उक्त कार्यक्रम में विभिन्न बिरादर संगठनों यथा, स्त्री संगठन, जनवादी अधिकार संगठन, छात्र संगठनों और बुद्धिजीवियों ने अतिथि प्रतिनिधि और पर्यवेक्षक प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। कार्यक्रम में नौजवानों ने कविता पाठ और क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की। सिरसा से आये डाॅ. सुखदेव हुंदल ने स्वागत वक्तव्य रखा।
दूसरे दिन के पहले सत्र में निम्न प्रस्ताव पारित हुएः
1. शहीदों के लिए श्रद्धांजलि प्रस्ताव: इस प्रस्ताव में पिछले दिनों हमारे देश और पूरी दुनिया में जनता के लिए लड़ते हुए शहीद हुए क्रान्तिकारियों को श्रद्धांजलि दी गयी।
2. मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में प्रस्तावः इस प्रस्ताव में गत चार महीनों के दौरान मोदी सरकार द्वारा लागू की गयीं विभिन्न जनविरोधी आर्थिक नीतियों और मज़दूर विरोधी श्रम ‘‘सुधारों’’ की कड़े शब्दों में निन्दा की गयी।
3. दुनिया भर में बढ़ रहे धार्मिक कट्टरपंथ के खि़लाफ़ प्रस्तावः इस प्रस्ताव में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में उभर रहे विभिन्न किस्म के धार्मिक कट्टरपंथ मसलन इस्लामिक स्टेट, बोको हरम आदि की निन्दा की गयी और इन्हें साम्राज्यवादियों द्वारा खड़ा किया गया भस्मासुर बताया गया।
4. फिलीस्तीनी जनता के मुक्ति संघर्ष के समर्थन में प्रस्तावः इस प्रस्ताव में इज़रायल द़्वारा पिछले दिनों गाज़ा में किये गये बर्बर नरसंहार के की पुरज़ोर भर्त्सना करने के साथ ही साथ फिलीस्तीन की जनता द्वारा किये जा रहे बहादुराना संघर्ष का समर्थन किया गया।
5. दुनिया भर में चल रहे जनान्दोलनों के समर्थन में प्रस्ताव
6. देश भर में चल रहे जनान्दोलनों के समर्थन में प्रस्ताव
संयोजन समिति की ओर से प्रस्तुत उपरोक्त प्रस्तावों के अतिरिक्त सदन की ओर से भी कुछ सदस्यों द्वारा प्रस्ताव पारित किया गये। सदन की ओर से प्रस्तुत प्रस्तावों में मुख्य थेः संघ परिवार द़वारा चलायी जा रही लव जिहाद की झूठी मुहिम पर निन्दा प्रस्ताव, पंजाब के काले कानून पर विरोध प्रस्ताव, स्त्री-विरोधी अपराधों पर प्रस्ताव, दलित और जनजाति उत्पीड़न के खिलाफ़, देश भर में जारी छात्र आन्दोलनों के बर्बर दमन के खि़लाफ़ प्रस्ताव, पूॅंजीवाद द्वारा की जा रही पर्यावरण की तबाही पर प्रस्ताव, नौजवान भारत सभा के मुखपत्र के चयन सम्बन्धी प्रस्ताव।
भोजनावकाश के बाद दूसरे सत्र में नौजवान भारत सभा के प्रतिनिधियों ने अपने नये नेतृत्व का चुनाव किया। सबसे पहले 17 सदस्यीय केन्द्रीय परिषद का चुनाव किया गया। बाद में चुने हुए केन्द्रीय परिषद सदस्यों ने 7 सदस्यीय केन्द्रीय कार्यकारिणी व 4 पदाधिकारियों का चुनाव किया। नौभास की हरियाणा इकाई के अरविंद को अध्यक्ष, दिल्ली इकाई के योगेश को उपाध्यक्ष, पंजाब इकाई के छिन्दरपाल को महासचिव व गाजियाबाद इकाई की श्वेता को कोषाध्यक्ष चुना गया।शाम को एक विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बिहार के मुजफ्फरपुर से आयी विकल्प सांस्कृतिक मंच ने क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की एवं नौजवान भारत सभा की दिल्ली इकाई ने राजा का बाजा नाटक का मंचन किया।
सम्मेलन में कल तीसरे दिन 28 सितंबर को शहीदे आज़म भगतसिंह के 107 वें जन्मदिवस पर एक खुले सत्र का आयोजन होगा जिसमें प्रतिनिधियों के अतिरिक्त नौभास के शुभचिन्तक और समर्थक हिस्सा ले सकते हैं। सम्मेलन का समापन शहीदे आज़म भगतसिंह की याद में नौजवानों की एक रैली निकाल कर किया जायेगा