भगतसिंह के 107वें जन्मदिवस के अवसर पर 26-27-28 सितम्बर को दिल्ली के अम्बेडकर भवन में आयोजित नौजवान भारत सभा का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन सफलतापूर्वक सम्पन्न।
दिल्ली। आज के दौर में जहाँ एक ओर पूँजीवादी व्यवस्था अपने ढाँचागत संकट से गुजर रही है और बुर्जुआ जनवाद का रहा-सहा स्पेस भी सिकुड़कर तेज़ी से फ़ासीवाद की शक्ल अख़्तियार कर रहा है, वहीं दूसरी ओर इस पूँजीवादी संकट को क्रान्तिकारी परिस्थिति में तब्दील करने में सक्षम क्रान्तिकारी शक्तियाँ पूरी दुनिया में अभूतपूर्व बिखराव और भटकाव की शिकार हैं। क्रान्ति की लहर पर प्रतिक्रान्ति की लहर लगातार हावी बनी हुई है। चारों ओर अन्याय-अनाचार-भ्रष्टाचार-लूट-बर्बरता और हताशा-निराशा का घटाटोप छाया हुआ है एवं गतिरोध की स्थिति क़ायम है। ऐसे ही गतिरोध को तोड़ने के लिए शहीद-ए-आज़म भगतसिंह ने क्रान्ति की स्पिरिट ताज़ा करने की बात कही थी। क्रान्ति की स्पिरिट को ताज़ा करने के मक़सद से ही भगतसिंह के 107वें जन्मदिवस के अवसर पर नौजवान भारत सभा (नौभास) का प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन 26-27-28 सितम्बर नई दिल्ली के अम्बेडकर भवन में आयोजित किया गया जो सफलतापूर्वक सम्पन्न हुआ। भगतसिंह जैसे महान युवा क्रान्तिकारी के विचारों से प्रेरित इस संगठन के प्रथम राष्ट्रीय सम्मेलन को आयोजित करने का इससे बेहतर मौका कोई नहीं हो सकता था। गौ़रतलब है कि 1926 में भगतसिंह और उनके साथियों ने औपनिवेशिक गुलामी के विरुद्ध भारत के क्रान्तिकारी आन्दोलन को नया वैचारिक आधार देने के लिए और एक नये सिरे से संगठित करने के लिए युवाओं का जो संगठन बनाया था उसका नाम भी नौजवान भारत सभा ही था। यह नाम अपने आप में उस महान क्रान्तिकारी विरासत को पुनर्जागृत करने और उसे आगे बढ़ाने के संकल्प का प्रतीक है।
नौजवान भारत सभा नामक इस क्रान्तिकारी नौजवान संगठन का उद्देश्य देश के बिखरे हुए युवा आन्दोलन को एक सही दिशा की समझ के आधार पर एकजुट करना और उसे व्यापक जनसमुदाय के साम्राज्यवाद-पूँजीवाद विरोधी संघर्ष के एक अविभाज्य अंग के रूप में आगे बढ़ाना है। सम्मेलन में पहले दो दिन के प्रतिनिधि सत्रों में दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश,बिहार और महाराष्ट्र के अलग-अलग हिस्सों से चुने हुए 150 से भी ज़्यादा नौजवान प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। सम्मेलन के अन्तिम दिन भगतसिंह के 107वें जन्मदिवस पर एक खुले सत्र का आयोजन किया गया जिसमें लगभग 300 लोगों ने हिस्सा लिया जिसमें प्रतिनिधियों के अतिरिक्त नौजवान भारत सभा के शुभचिंतक एवं समर्थक शामिल थे।
सम्मेलन के पहले दिन के प्रथम सत्र की शुरुआत नौजवान भारत सभा के झण्डारोहण से हुई। इसके बाद संयोजन समिति की तरफ से तपीश मैन्दोला ने पिछले दस वर्षों की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए कहा कि यह सम्मेलन एक ऐसे समय में हो रहा है जब हमारा देश आम जनता के बहादुर,इंसाफ़पसन्द,प्रगतिकामी युवा सपूतों से एक बार फिर उठ खड़े होने कि और आगे बढ़कर अपनी ऐतिहासिक ज़िम्मेदारी को निभाने की माँग कर रहा है। रिपोर्ट में नौभास के नेतृत्व में चले जनान्दोलनों,प्रचार अभियानों और विभिन्न सांस्कृतिक और रचनात्मक कार्यों का विवरण प्रस्तुत किया गया।
पहले दिन के द्वितीय सत्र में नौभास का मसौदा घोषणापत्र और मसौदा संविधान प्रस्तावित किया गया और उनके विभिन्न बिन्दुओं पर गहन बहस-मुबाहसा हुआ। मसौदा घोषणापत्र में यह लिखा है कि भगतसिंह के आदर्शों के अनुगामी नौजवानों का यह दायित्व है कि वे पूँजीवादी राजनीति के छल-छद्म का भण्डाफोड़ करते हुए धार्मिक कट्टरपंथी फासिस्ट ताकतों के विरुद्ध स्वयं ज़मीनी स्तर पर एकजुट हों और व्यापक मेहनतकश आबादी को भी संगठित करें। इस सत्र के अन्त में घोषणापत्र एवं संविधान पारित किया गया।
दूसरे दिन के प्रथम सत्र में अहम राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय मुद्दों पर प्रस्ताव पारित किये गये जिसमें शहीदों के लिए श्रद्धांजलि प्रस्ताव,मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के विरोध में प्रस्ताव,दुनिया भर में बढ़ रहे धार्मिक कट्टरपंथ के खि़लाफ़ प्रस्ताव,फिलीस्तीनी जनता के मुक्ति संघर्ष के समर्थन में प्रस्ताव,दुनिया भर में चल रहे जनान्दोलनों के समर्थन में प्रस्ताव,देश भर में चल रहे जनान्दोलनों के समर्थन में प्रस्ताव,संघ परिवार द़वारा चलायी जा रही लव जिहाद की झूठी मुहिम पर निन्दा प्रस्ताव,पंजाब के काले कानून पर विरोध प्रस्ताव,स्त्री-विरोधी अपराधों पर प्रस्ताव,दलित और जनजाति उत्पीड़न के खिलाफ़ प्रस्ताव, देश भर में जारी छात्र आन्दोलनों के बर्बर दमन के खिलाफ़ प्रस्ताव,पूँजीवाद द्वारा की जा रही पर्यावरण की तबाही पर प्रस्ताव,छात्रों-युवाओं की हिन्दी पत्रिका आह्वान,पंजाबी पत्रिका ललकार एवं मराठी पत्रिका स्फुलिंग को नौजवान भारत सभा के मुखपत्र के रूप में चयन सम्बन्धी प्रस्ताव शामिल थे।
दूसरे दिन के द्वितीय सत्र में नौभास की 17 सदस्यीय केन्द्रीय परिषद का चुनाव किया गया जिसने 7 सदस्यीय केन्द्रीय कार्यकारणी का चुनाव किया जिसने अपने में पदाधिकारों का चुनाव किया। इन चुनावों में नौभास की हरियाणा इकाई के अरविन्द को अध्यक्ष चुना गया,दिल्ली इकाई के योगेष को उपाध्यक्ष,पंजाब इकाई के छिंदरपाल को महासचिव तथा गाज़ियाबाद इकाई की श्वेता का कोषाध्यक्ष चुना गया।
सम्मेलन के अन्तिम दिन भगतसिंह के 107वें जन्मदिवस पर आयोजित खुले सत्र की शुरुआत शहीदों को श्रद्धांजलि से हुई। उसके बाद मुक्तिकामी छात्रों नौजवानों की पत्रिका आह्वान के सम्पादक अभिनव ने अपना वक्तव्य रखा। उन्होंने अपनी बात में कहा कि सबको समान शिक्षा और रोजगार के केन्द्रीय मुद्दे के अतिरिक्त आम मेहनतकश जनता के अन्य जनवादी अधिकारों मसलन स्वास्थ्य और आवास जैसे मुद्दों पर भी नौजवान भारत सभा को आन्दोलन छेड़ना चाहिए क्योंकि इन मुद्दों के ज़रिये भी पूँजीवादी व्यवस्था का भंडाफोड़ किया जा सकता है।
तीसरे दिन के अन्तिम सत्र में विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसमें बिहार के मुजफ्फरपुर से आयी बिहार राज्य जनवादी सांस्कृतिक मोर्चा‘विकल्प’की टीम ने गुरूशरण सिंह द्वारा रचित नाटक ‘इंक़लाब ज़िन्दाबाद’नाटक का मंचन किया और क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की। इसके अलावा पंजाब का क्रान्तिकारी संगीत टोली‘दस्तक’एवं दिल्ली की सांस्कृतिक टोली ‘विहान’ ने भी क्रान्तिकारी गीतों की प्रस्तुति की। सम्मेलन का समापन शहीद-ए-आज़म भगतसिंह की याद में एक रैली से हुआ जिसमें युवाओं ने‘भगतसिंह का ख़्वाब अधूरा,इसी सदी में होगा पूरा’और‘भगतसिंह से सपनों को साकार करो-साकार करो’जैसे गगनभेदी नारे लगाये।
कृते
संयोजन समिति
नौजवान भारत सभा