सिमरनजीत मान जैसों की राजनीति का मूल एजेण्डा मज़हबी फिरकापरस्ती है। ये प्रमुख तौर पर सिख धर्म की पहचान की राजनीति के झण्डाबरदार हैं और खालिस्तान के समर्थक हैं। इनका बस यह कहना है कि खालिस्तान “कानूनी” तरीके से बनना चाहिए। भगतसिंह के बारे में सिमरनजीत मान का मुँह खोलना था कि हरियाणा में मज़हबी पहचान की प्रतिक्रियावादी राजनीति करने वाले मनोज दूहन जैसे लोग भी बल्लियों उछल पड़े और भगतसिंह के प्रति दुष्प्रचार में जुट गये। जिस तरह से पागलों को बीच-बीच में पागलपन के दौरे पड़ते हैं वैसे ही मज़हबी फ़िरकापरस्ती में विक्षिप्त दिमाग भी सुर्ख़ियों में बने रहने और अपने चेले-चपाटों के बीच सस्ती लोकप्रियता हासिल करने के लिए समय-समय पर अपने एजेण्डे के तहत ऐसी ओछी हरक़तें करते रहते हैं।