इस मामले में संलिप्त तीनों आरोपियों पर भाजपा के बड़े नेताओं का हाथ था। जेपी नड्डा, स्मृति ईरानी, योगी आदित्यनाथ और नरेन्द्र मोदी तक के साथ बत्तीसी दिखाते हुए इनके फ़ोटो मौजूद हैं। शायद यही कारण हो कि पुलिस को इन्हें “काबू” करने में दो महीने लग गये! उल्टा इस मामले में न्याय की माँग कर रहे बीएचयू के छात्रों के साथ पुलिस की शह पर संघी लम्पटों द्वारा मारपीट की गयी थी। यही नहीं प्रदर्शनकारी छात्रों पर ही मुक़दमें दर्ज कर लिये गये थे जबकि अपराधी दो महीने जुगाड़ लगाते फिरते रहे। इस बीच ‘ऑन द स्पॉट’ “इन्साफ़” करने में कुख्यात यूपी पुलिस की बन्दूकें ठण्डी पड़ी रही और योगी जी का न्याय देवता बुलडोज़र भी जंग खाये खड़ा रहा! ज़ाहिर तौर पर हम “न्याय” के इस तालिबानी संस्करण के कत्तई हिमायती नहीं हैं। ऐसी घटनाएँ यही साफ़ करती हैं कि आमतौर पर इस “न्याय प्रणाली” का शिकार ग़रीब, दलित और मुस्लिम ही बनते हैं। इस घटना में भी यही दिखता है।