शहीद मास्टर दा सूर्यसेन अमर रहें!

“मौत मेरे दरवाजे पर दस्तक दे रही है। मेरा मन अनन्तकाल की ओर उड़ रहा है … ऐसे सुखद समय पर,ऐसे गंभीर क्षण में, मैं तुम सब के पास क्या छोड़ जाऊंगा ? केवल एक चीज़, यह मेरा सपना है, एक सुनहरा सपना- स्वतंत्र भारत का सपना …. कभी भी 18 अप्रैल, 1930, चटगांव के विद्रोह के दिन को मत भूलना …।”