हिन्दू धर्म के तमाम ठेकेदार आये दिन अपने बीमार मानस का परिचय देते रहते हैं, कपड़ों, रहन-सहन और बाहर निकलने को लेकर तो ये बेहूदा बयानबाजियाँ करते हैं लेकिन तमाम स्त्री विरोधी अपराधों के खि़लाफ़ बेशर्म चुप्पी साध लेते हैं। यह हमारे समाज का दोगलापन ही है कि पीड़ा भोगने वालों को ही दोषी करार दे दिया जाता है, नृशंसता के कर्ता-धर्ता अपराधी आमतौर पर बेख़ौफ़ होकर घूमते हैं।