भगतसिंह को फाँसी के बाद जेल सुपरिण्टेण्डेण्ट का प्रमाणपत्र

भगतसिंह को फाँसी के बाद जेल सुपरिण्टेण्डेण्ट का प्रमाणपत्र

certificate-of-execution

CERTIFICATE OF EXECUTION OF THE DEATH SENTENCE

Seal of the

Judicial Department

I HEREBY certify that the sentence of death passed on Bhagat Singh has been duly executed, and that the said Bhagat Singh was accordingly hanged by the neck till he was dead, at Lahor Central Jail on Monday, the 23rd day of March, 1931, at 7 p.m., that the body remained suspended for a full hour, and was not taken down until life was ascertained by a medical officer to be exinct; and that no accident, error or other misadventure occured.

Sd, Illegel                                                               Superintendent of the Jail.

मृत्युदण्ड पर अमल का प्रमाणपत्र

न्यायिक विभाग

की मुहर

मैं एतद् द्वारा प्रमाणित करता हूँ कि भगतसिंह को दिये गये मृत्युदण्ड की तामील कर दी गयी है, और कि तद्नुसार उपरोक्त भगतसिंह को सोमवार 23 मार्च, 1931 को शाम 7 बजे लाहौर सेण्ट्रल जेल में गरदन से उस समय तक लटकाये रखा गया जब तक उसकी मृत्यु न हो गयी, कि शरीर पूरे एक घण्टे तक लटका रहा, और उसे तब तक नीचे नहीं उतारा गया जब तक मेडिकल अफ़सर द्वारा जीवन निश्शेष होने की पुष्टि नहीं कर ली गयी; और कि कोई दुर्घटना, त्रुटि या कोई अन्य अनिष्ट नहीं हुआ।

ह. अस्पष्ट                                                            जेल सुपरिण्टेण्डेण्ट

 


शहीद भगतसिंह व उनके साथियों के बाकी दस्तावेजों को यूनिकोड फॉर्मेट में आप इस लिंक से पढ़ सकते हैं। 


Bhagat-Singh-sampoorna-uplabhdha-dastavejये लेख राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित ‘भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़’ से लिया गया है। पुस्तक का परिचय वहीं से साभार – अपने देश और पूरी दुनिया के क्रान्तिकारी साहित्य की ऐतिहासिक विरासत को प्रस्तुत करने के क्रम में राहुल फाउण्डेशन ने भगतसिंह और उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर जागरूक नागरिकों और प्रगतिकामी युवाओं तक पहुँचाया है और इसी सोच के तहत, अब भगतसिंह और उनके साथियों के अब तक उपलब्ध सभी दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है।
इक्कीसवीं शताब्दी में भगतसिंह को याद करना और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का उपक्रम एक विस्मृत क्रान्तिकारी परम्परा का पुन:स्मरण मात्र ही नहीं है। भगतसिंह का चिन्तन परम्परा और परिवर्तन के द्वन्द्व का जीवन्त रूप है और आज, जब नयी क्रान्तिकारी शक्तियों को एक बार फिर नयी समाजवादी क्रान्ति की रणनीति और आम रणकौशल विकसित करना है तो भगतसिंह की विचार-प्रक्रिया और उसके निष्कर्षों से कुछ बहुमूल्य चीज़ें सीखने को मिलेंगी।
इन विचारों से देश की व्यापक जनता को, विशेषकर उन करोड़ों जागरूक, विद्रोही, सम्भावनासम्पन्न युवाओं को परिचित कराना आवश्यक है जिनके कन्धे पर भविष्य-निर्माण का कठिन ऐतिहासिक दायित्व है। इसी उदेश्य से भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़ों का यह संकलन प्रस्तुत है।
आयरिश क्रान्तिकारी डान ब्रीन की पुस्तक के भगतसिंह द्वारा किये गये अनुवाद और उनकी जेल नोटबुक के साथ ही, भगतसिंह और उनके साथियों और सभी 108 उपलब्ध दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है। इसके बावजूद ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ?’ जैसे कर्इ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों और जेल नोटबुक का जिस तरह आठवें-नवें दशक में पता चला, उसे देखते हुए, अभी भी कुछ सामग्री यहाँ-वहाँ पड़ी होगी, यह मानने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। इसीलिए इस संकलन को ‘सम्पूर्ण दस्तावेज़’ के बजाय ‘सम्पूर्ण उपलब्ध’ दस्तावेज़ नाम दिया गया है।

व्यापक जनता तक पहूँचाने के लिए राहुल फाउण्डेशन ने इस पुस्तक का मुल्य बेहद कम रखा है (250 रू.)। अगर आप ये पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो इस लिंक पर जायें या फिर नीचे दिये गये फोन/ईमेल पर सम्‍पर्क करें।

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