अगर हम अब फासीवादी गिरोहों का सड़कों पर मुकाबला करने नहीं उतरे तो…
कोई नहीं बचेगा!
17 जुलाई को देश में एक चौंका देने वाली घटना घटित हुयी। 17 जुलाई को झारखण्ड में जंगल बचाने के सवाल पर आदिवासियों को सम्बोधित करने पहुंचे 80 वर्षीय स्वामी अग्निवेश पर भाजपा के संगठन भाजयुमो के लम्पटों ने हमला कर दिया। संघी और भाजपा के ये गुंडे 80 वर्षीय बुजुर्ग हिन्दू धर्म के इस संत को सड़क पर नीचे गिराकर घसीटते हैं और लात और घूसों से प्रहार कर माँ-बहन की गाली देते हैं। यह घटना भाजपा और संघियों के चाल-चरित्र-चेहरे को उजागर कर देती है। इस घटना पर हम चुप नहीं रह सकते क्योंकि अब चुप रहना मुर्दा रहने के समान होगा। पहलु खान, अख़लाक़, जुनैद और उना व भीमा कोरेगांव के बाद अग्निवेश पर यह हमला यह दिखाता है कि सिर्फ मुसलमान या दलित नहीं बल्कि हिंदुत्ववादी फासीवाद के इस दौर में हर वह शख़्स खतरे में है जो मोदी सरकार और संघ परिवार के आगे नतमस्तक न हो। आर्य समाजी और समाज सुधारक स्वामी अग्निवेश पिछले चार दशकों से बाल श्रम, बंधुआ मजदूरी, अंधविश्वासों और शराबखोरी के खिलाफ अभियान चलाते रहे हैं। आप स्वामी अग्निवेश के धर्म निरपेक्षता या हिन्दू धर्म के अन्य विचारों से असहमति रखते हुए भी उनके जनवादी अधिकारों के लिए खड़े हो सकते हैं! स्वामी अग्निवेश पर इसलिए बर्बर हमला किया गया क्योंकि उन्होंने मोदी सरकार की नीतियों की आलोचना की। दरअसल संघ परिवार और भाजपा उन बलात्कारी संतों या मौलवियों का समर्थन करते हैं जो इनकी फासीवादी राजनीति का समर्थन करते हैं। आसाराम और इसके जैसे बलात्कारियों के लिए सड़कों पर उतर कर ये संघी और भाजपाई प्रदर्शन करते हैं। परन्तु हिन्दू संत स्वामी अग्निवेश पर इसलिए हमला किया जाता है क्योंकि स्वामी अग्निवेश का हिन्दू धर्म, हिन्दू जीवन शैली और हिन्दू दर्शन का विचार संघ परिवार की विचारधारा से मेल नहीं खाता है। उनपर इसलिए हमला किया जाता है कि उन्होंने फासीवादी संगठनों द्वारा फैलाई जा रही साम्प्रदायिकता का विरोध किया, उन्होंने केंद्र सरकार और तमाम प्रदेश सरकारों की जन विरोधी नीतियों की आलोचना की, उन्होंने योगी आदित्यनाथ की शराबबंदी न करने पर आलोचना की। 80 वर्षीय हिन्दू धर्म के संत पर हमले ने इनके इस झूठ को उजागर कर दिया है कि भाजपा और संघ परिवार हिन्दू धर्म और हिन्दुओं के संरक्षक हैं। अगर संघ परिवार और भाजपा का हिन्दू धर्म से लेना देना होता तो ये संघी स्वामी अग्निवेश पर हमला क्यों करते? अगर इनका हिन्दू आबादी से लेना देना होता तो इस देश के 84 प्रतिशत हिन्दुओं की ज़िन्दगी की हालत में सुधार नहीं होता? क्यों इस देश की बहुतायत हिन्दू आबादी बेरोज़गारी, गरीबी और बदहाली में जी रही है? इनका गौ रक्षा से भी कोई लेना देना नहीं है! अगर इनका मकसद गाय की सेवा होता गाय के नाम पर सडकों पर लोगों की हत्या करने के बाद बजरंग दल और भाजपा के लोग क्यों अल दुआ कंपनी के मालिक संगीत सोम को पश्चिमी उत्तर प्रदेश में मुख्य नेता बनाते? वे क्यों देश के सबसे बड़े बुचडखानों से चंदा लेते? खुद गूगल पर ढूंढिए तो पायेंगे कि बीफ़ के मांस का व्यापार करने वाली कंपनियों से सबसे अधिक भाजपा ने चंदा लिया है। अगर इनका गौ रक्षा से लेना देना होता क्यों भाजपा मणिपुर और केरल में गाय का मांस खाने के समर्थन में खड़े होते? इनका लव जिहाद से भी कोई लेना देना नहीं वर्ना भाजपा और संघ परिवार के नेताओं और उनके बेटे बेटियों की शादी मुसलमानों से क्यों होती। इनका एकमात्र मकसद फिरकापरस्त राजनीति का प्रचार कर लोगों को बांटना है और अम्बानी और अदानी की संपत्ति में दिन दुगी रात चौगुनी वृद्धि करनी है। बिना संस्थान खोले अम्बानी के संस्थान को 1000 करोड़ का चंदा दिया जाता है। ज़मीन जंगल और देश को बड़े पूंजीपतियों में बेचा जा रहा है। इनका मकसद फासीवादी शासन को कायम करना है। संघियों का किसी भी धर्म से कोई लेना देना नहीं है और न ही जनता से कुछ लेना देना है! इनकी विचारधारा फासीवादी है जो लोगों को और धर्म को इस्तेमाल कर अपना उल्लू सीधा करती है।
पिछले 4 सालों में जो सवा दो करोड़ लोग बेरोजगार हुए हैं उनमें से कितने हिन्दू थे और कितने मुसलमान थे क्या इसका हिसाब किसी ने लगाया है? कितने सवर्ण थे और कितने दलित थे? क्या नौकरी से निकालते हुए किसी ने जात धर्म पूछा था? नोटबंदी में जिन 200 लोगों की मौत हुयी उनमें से कितने हिन्दू थे और कितने मुसलमान थे? कितने सवर्ण थे और कितने दलित थे? क्या नोटबंदी के कारण हुयी मौतों ने जात धर्म पूछा था? जीएसटी लागू होने के बाद जितने उद्योग बर्बाद हुए और इसके कारण जितने लोग सड़कों पर चप्पल फटकारने को मजबूर हुए उनमें कितने हिन्दू थे? मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों के कारण जो देश में बर्बादी फैली है उसने हिन्दू मुसलमान के आधार पर फर्क नहीं किया है! पर जब वोट लेने की बारी आती है तो हमें हिन्दू मुसलमान में बाँट दिया जाता है। स्वामी अग्निवेश पर हमला कर संघियों ने अपने चाल-चरित्र-चेहरे को पूरी तरह नंगा कर दिया है। पर इनसे मौन बने रहकर मुकाबला नहीं किया जा सकता है। ये फासीवादी आतंकवादी संगठन व्हाट्सएप्प द्वारा अफवाह फैलाकर केवल 8-10 की भीड़ में हमला करते हैं पर सोशल मीडिया के जरिये देश में इसे ऐसा प्रचार किया जा रहा है जैसे यह एक सामान्य घटना बन चुकी है। इस छोटी सी भीड़ द्वारा इन घटनाओं को इसलिए ही अंजाम दिया जा रहा है क्योंकि लोग तमाशबीन बने रहकर इस भीड़ को खड़े देखते रहते हैं। परन्तु हम इस पराजयबोध को अस्वीकार करते हैं, हम इस बात को अस्वीकार करते हैं कि इस देश की पूरी जनता ही ऐसी है। हम इस देश की नौजवानी को, इस देश की मेहनतकश आवाम को और इस देश के इंसाफपसंद नागरिकों को ललकारते हैं कि सड़क पर उतरकर इन फासीवादियों से मुकाबला करें क्योंकि अब हम नहीं उठे तो कोई भी नहीं बचेगा!
नौजवान भारत सभा दिशा छात्र संगठन क्रान्तिकारी मज़दूर मोर्चा