दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की हिन्दुत्ववादी साज़ि‍शें

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की हिन्दुत्ववादी फासिस्टों की लगातार जारी कोशिशें

नौजवान भारत सभा, उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की जाँच- पड़ताल टीम की रिपोर्ट

1. भूमिकाtimthumb

हाल के कुछ महीनों के दौरान उत्तर-पश्चिमी दिल्‍ली की मज़दूर बस्तियों में हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी ताकतें बहुत ही योजनाबद्ध ढंग से और षडयंत्रकारी तौर-तरीकों से साम्प्रदायिक तनाव उकसाने और दंगों की ज़मीन तैयार करने में लगी हुई हैं। इस इलाके के पार्कों और डी.डी.ए. की खाली पड़ी ज़मीनों पर लगने वाली आर.एस.एस. की शाखाओं की संख्या में भारी बढ़ोत्तरी हुई है। साथ ही बजरंग दल की सक्रियता भी काफी बढ़ी है। होलम्बी कलां, होलम्बी खुर्द, बवाना, नरेला, भलस्वा डेरी आदि जगहों पर स्थित इस इलाके की अधिकांश मज़दूर बस्तियाँ ऐसी पुनर्वास कालोनियाँ हैं जहाँ दिल्ली के विभिन्न इलाकों से उजड़कर आयी मज़दूर आबादी को बसाया गया है। इन बस्तियों में अवैध शराब, स्मैक, अन्य नशों, जूआ आदि के ग़ैरक़ानूनी धंधे बड़े पैमाने पर चलते हैं और आम मज़दूर आबादी के साथ-साथ लम्पट तत्व भी अच्छी़-खासी संख्या में मौजूद हैं। संघ की शाखाओं में दुकानदारों, ठेकेदारों, मकान मालिकों, प्रापर्टी डीलरों और मध्य‍वर्ग के घरों के युवाओं की संख्या प्रमुख होती है, जबकि साम्प्रदायिक तनावों के दौरान हुड़दंग करने में लम्पट तत्वों की भूमिका प्रमुख हो जाती है। ऐसे तत्वों की गिरोहबंदी में इन दिनों बजरंग दल की भूमिका बढ़ती जा रही है। इन दिनों इस पूरे इलाके की मध्यवर्गीय कालोनियों में भी ‘गो रक्षा महा अभियान’ के बैनर तले हस्ताक्षर अभियान के बहाने व्यापक जन सम्पर्क अभियान चलाया जा रहा है।

2. पृष्ठभूमि: निकट अतीत की घटनाएँ

केन्द्र में नरेन्द्र मोदी सरकार के बनने के बाद से दिल्ली के विभिन्न इलाकों में साम्प्रदायिक तनाव और टकराव की घटनाएँ सिलसिलेवार घटती रही हैं। अधिकांश मामलों में ये घटनाएँ संघ परिवार के अनुषंगी संगठनों की योजना और उकसावेबाजी का नतीजा रही हैं जिनमें

भाजपा के स्थानीय नेताओं और जनप्रतिनिधियों का सक्रिय सहयोग रहा है।

छिटपुट घटनाओं को छोड़ भी दें तो कुछ महत्वयपूर्ण घटनाओं के सिलसिले को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता।

विगत 1 अगस्त, 2014 को उत्तर-पूर्वी दिल्ली के नन्द नगरी में एक स्थानीय विवाद को बाहरी तत्वों द्वारा साम्प्रदायिक टकराव का रूप दिया जाना (जिसमें 12 लोग घायल हुए), 2 अक्टूबर से 6 अक्टू्बर के बीच उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बवाना जे.जे. कॉलोनी में आर.एस.एस. से जुड़े संगठन ‘हिन्दू् क्रांतिकारी सेना’ द्वारा मवेशी चोरी और गो हत्या की झूठी अफ़वाह फैलाकर, बलपूर्वक मुस्लिम घरों की तलाशी लेकर, एक कबाड़-व्यापारी को पीटकर तथा मोटर साइकिल रैली निकालकर साम्प्रंदायिक तनाव भड़काना, 11 अक्टूबर को दक्षिणी दिल्ली में जोरबाग कर्बला पर भीड़ द्वारा पत्थरबाजी करके दरगाह की सम्पत्ति को गम्भीर नुकसान पहुँचाना और दर्जनों बच्चों को घायल कर देना, 23-26 अक्टूबर को त्रिलोकपुरी में एक स्थानीय विवाद को साम्प्रदायिक रंग दिया जाना और स्थानीय भाजपा विधायक सुनील वैद्य द्वारा साम्‍प्रदायिक भावनाएँ भड़काने के बाद पत्थररबाजी और हिंसक टकराव, 25 अक्टूबर-4 नवम्बर के बीच एक बार फिर बवाना जे. जे. कॉलोनी में संघ परिवार के लोगों द्वारा मोहर्रम के ताजिया जुलूस को रोकने के लिए लोगों को उकसाना, हरियाणा-दिल्ली के आसपास स्थित गाँवों से ‘महापंचायत’ के नाम पर लोगों को और अ.भा.वि.प. कार्यकर्ताओं को जुटाना (बिना पुलिस-इजाज़त के हुए इस महापंचायत में बवाना के स्‍थानीय भाजपा विधायक गुगन सिंह रंगा और कई अन्य- ने भड़काऊ भाषण दिये, लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हुई) और गम्भीर साम्प्रदायिक तनाव का माहौल बनाना, 5 नवम्बर को ओखला के मदनपुर खादर में एक मस्जिद में मुर्दा सूअर फेंककर साम्प्रदायिक तनाव उकसाने की कोशिश करना, 9 नवम्बर को बा‍बरपुर में एक रेस्टोरेण्ट के सामने अज्ञात व्यक्ति द्वारा रखी गयी गाय की लाश पाये जाने के बाद साम्प्रदायिक लामबन्दी की कोशिशें और 11 नवम्बर को बाबरपुर से सटे घोण्डा में ‘युवा हिन्दूज संघ’ द्वारा पंचायत बुलाया जाना, 25 नवम्बर को उच्चतम न्यायालय के निर्देशों और ‘नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ डेल्ही लॉज(स्पेशल प्रॉविजंस) ऐक्ट 2011’ का खुला उल्लंघन करते हुए दिल्ली प्रशासन द्वारा वसंत कुंज की रंगपुरी पहाड़ी के इजरायली कैम्प की मुस्लिम झुग्गी बस्ती के 900 घरों पर बुलडोजर चला देना और 2000 बच्चों सहित हजारों लोगों को बेघर कर देना, 1 दिसम्बंर को दिलशाद गार्डेन स्थित सेबेस्टियन चर्च में तोड़फोड़ के बाद आग लगा देना, 6 दिसम्बर को जसोला, ओखला स्थित सायरो-मलाबार कैथोलिक चर्च पर पत्थरबाजी, 8 दिसम्बर को त्रिलोकपुरी में साध्वी निरंजन ज्योति द्वारा ”रामज़ादा-हरामज़ादा” वाला कुख्यात भाषण देना और तनाव पैदा करने की कोशिश करना — इन सभी घटनाओं का सिलसिला अपने आप में यह स्पष्ट कर देने के लिए काफी है कि हिन्दुत्ववादी कट्टरपंथी दिल्ली के विभिन्न इलाकों में तरह-तरह से साम्प्रदायिक तनाव और दंगे भड़काने की सुनियोजित कोशिशों में 2014 से ही लगातार लगे हुए हैं।

उपरोक्त सभी घटनाओं में कुछ आम प्रवृत्तियाँ हमें देखने को मिलती हैं जो ग़ौरतलब हैं। प्राय: उपरोक्त सभी घटनाओं में, स्थानीय आम लोगों ने ठोस एकजुटता दिखाते हुए साम्प्रदायिक ताक़तों की साज़िशों को नाकाम किया और स्थिति को विस्फोटक होने से बचाया। दूसरी बात, प्राय: सभी मामलों में पुलिस ने मूक दर्शक जैसी भूमिका निभायी, जाँच करके दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं की और यदि बीच-बचाव करके स्थिति नियंत्रण में लाने की कोशिश भी की तो स्थानीय जन समुदाय और उनकी अमन कमेटी जैसी संस्थाओं के दबाव डालने पर की। तीसरी बात, उकसावेबाजी की कुछ घटनाएँ ”अज्ञात लोगों” ने की, जबकि अधिकांश में संघ परिवार से जुड़े संगठनों और स्थानीय भाजपा नेताओं की अहम भूमिका थी।

2014 के अंत से हिन्दुत्ववादी शक्तियों की सरगर्मि‍याँ उत्तर-पश्चिमी दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में बढ़ गयीं और 2015 की साम्प्रदायिक तनाव की अधिकांश घटनाएँ इसी इलाके में घटी हैं। बवाना में तो पहले ही शुरुआत हो चुकी थी, 10 दिसम्ब़र को साम्प्रदायिक ताक़तों ने होलम्बी खुर्द को अपनी नयी प्रयोगशाला बनाने की कोशिश की। दिल्ली के कई इलाकों से उजाड़े गये मज़दूरों को 2001 में मेट्रो विहार, होलम्बी खुर्द में लाकर बसाया गया था। यहाँ के मुस्लिम परिवारों ने उसी समय प्रशासन से मस्जिद और कब्रिस्तान (निकटतम कब्रिस्तान यहाँ से 8 कि.मी. दूर है) के लिए जगह की माँग की थी। सितम्बर, 2001 में प्रशासन को सूचित करके उन्होंने खाली पड़ी ज़मीन पर एक अस्थाई मस्जिद बना ली थी। 2002 में संघ कार्यकर्ताओं के उकसावे पर कुछ लोगों ने मस्जिद के सामने की ज़मीन पर एक मन्दिर बना लिया। सम्भाावित विवाद से बचने के लिए मुस्लिम परिवारों ने प्रशासन से कई बार यह माँग की कि मस्जिद और कब्रिस्तान के अतिरिक्त मन्दिर और श्मशान के लिए भी जगह अलॉट कर दी जाये, लेकिन 14 वर्षों तक लगातार सोलह विभागों को पत्र लिखने और चक्कर लगाने के बाद भी प्रशासन ने कोई कदम नहीं उठाया। गत वर्ष 10 सितम्बर को अस्थाई मस्जिद और मन्दिर की ज़मीन को कुछ असामाजिक तत्वों ने पाटना शुरू कर दिया। आशंकित लोगों द्वारा पुलिस बुलाये जाने पर उन लोगों ने पुलिस को यह आश्वासन दिया कि उनकी मंशा ज़मीन क़ब्ज़ा करने की नहीं है। फिर उस जगह का इस्तेमाल नशा और जुए के अड्डे के रूप में होने लगा और मस्जिद में आने-जाने वाले लोगों के लिए परेशानियाँ पैदा की जाने लगीं। फिर 27 दिसम्बर को उस खाली पड़ी जगह को बाँस-बल्लियों से उन्हीं तत्वों ने घेर दिया। पी.सी.आर. और स्थानीय पुलिस ख़बर करने पर आयी और दिखावटी तौर पर मना करके चली गयी, लेकिन बाड़ेबन्दी का काम रुका नहीं। आज भी बाड़ाबन्दी और असामाजि‍क तत्वों का जमावड़ा वहाँ क़ायम है। मन्दिर मस्जिद के ऐन सामने होने और संघ कार्यकर्ताओं की लगातार सरगर्मि‍यों के चलते स्थिति लगातार ऐसी बनाकर रखी गयी है कि साम्प्रदायिक तनाव और झड़प की स्थिति कभी भी पैदा की जा सकती है।

इस संक्षिप्त पृष्ठभूमि की चर्चा के बाद अब हम होलम्बी कलां, नरेला और भलस्वा डेरी में साम्प्रदायिक तनाव को हवा देने की हिन्दुत्ववादी ताक़तों द्वारा वर्तमान समय में लगातार जारी सरगर्मि‍यों की और उनके आगे की उन ख़तरनाक साज़िशाना योजनाओं की चर्चा करेंगे, जिनकी पुख़्ता जानकारी नौजवान भारत सभा की जाँच-पड़ताल टीम को जाँच-पड़ताल के दौरान प्राप्त हुई है।

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली
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3. होलम्बी कलां में साम्प्रदायिक आग भड़काने की सरगर्मि‍याँ और आगे की ख़तरनाक तैयारियाँ

होलम्बी़ में कई चरणों वाली मेट्रो विहार कॉलोनी को बसाने का काम 2000-2001 में शुरू हुआ। 2006 में दिल्लीे सरकार ने जखीरा से झुग्गियों को हटाकर मेट्रो विहार, फ़ेज-2, ब्लॉक-बी में वहाँ से उजड़ी आबादी का पुनर्वास कराया। 2007 में इन्द्र लोक से उजाड़े गये कुछ परिवारों का भी यहाँ पुनर्वास कराया गया। होलम्बी़ कलां कुल दो फ़ेज और 6 ब्लॉकों में बँटा है, जहाँ कुल 900 मुस्लिम परिवार हैं और कुल 10,000 की आबादी में से 10 प्रतिशत हिस्सा मुस्लिम आबादी का है।

होलम्बी कलां (मेट्रो विहार) बसाये जाने के समय से ही मन्दिर और मस्जिद तथा कब्रिस्तान और श्मशान के लिए जनता की ओर से प्रशासन से माँग की जाती रही। लोग डी.डी.ए. की खाली ज़मीनों पर लगातार, एक के बाद एक मन्दिर बनाते रहे। यहाँ के मुस्लिम समुदाय ने भी प्रशासन से मस्जिद के लिए जगह की माँग कई बार की। डी.डी.ए. के स्थानीय जूनियर इंजीनियर ने उनसे मौखिक तौर पर कहा कि मस्जिद के लिए स्थाई तौर पर जगह अलॉट होने तक वे कहीं भी उपयुक्त खाली जगह पर अस्थाई मस्जिद बना लें और 2006-7 में उस जगह पर बिलाल मस्जिद का अस्थाई ढाँचा बिलाल वेलफेयर सोसाइटी की ओर से खड़ा किया गया। 2010 में स्लम अधिकारियों द्वारा मुआयना करने और मस्जिद के लिए जगह के अलॉटमेण्ट हेतु कहने के बाद 2010 और 2012 में मुस्लिम परिवारों ने दो बार अलॉटमेण्ट के लिए आवेदन किया, लेकिन इसपर कोई कार्रवाई नहीं हुई और अस्थाई मस्जिद के तौर पर बिलाल मस्जिद चलता रहा। बिलाल मस्जिद फ़ेज-2 की जिस जगह पर स्थित है, वहाँ पहले सरकारी प्राइमरी स्कूल बनना था, लेकिन ऊपर ‘हाई टेंशन वायर’ होने की वजह से उसे रद्द कर दिया गया। उल्लेखनीय है कि बिलाल मस्जिद में नमाज़ के अलावा 65 बच्चों को हिन्दी और उर्दू व अन्य विषयों की पढ़ाई कराई जाती है।

ग़ौरतलब है कि सिर्फ़ बिलाल मस्जिद की ही ऐसी स्थिति नहीं है। होलम्बी कलां फ़ेज-2 में कुल 28 मन्दिर और 4 मस्जिद हैं, जो डी.डी.ए. की खाली ज़मीन पर बने हैं। तीन और मन्दिरों का ठीक इसी तरह निर्माण कार्य इस समय जारी है। 2007 से 2014 तक फ़ेज-2 के बिलाल मस्जिद या अन्य किसी भी मस्जिद को लेकर हिन्दू-मुस्लिम आबादी के बीच कभी कोई तनाव या विवाद नहीं रहा। पहली बार संघ परिवार के लोगों द्वारा उकसावेबाजी की शुरुआत 26मई 2014 को मोदी सरकार के सत्तारूढ़ होने के बाद हुई। आँधी की वजह से बिलाल मस्जिद का छप्पहर उड़ जाने और तिरपाल फट जाने के बाद बस्ती से चंदा जुटाकर जब मस्जिद की मरम्मत की जा रही थी और तिरपाल डाला जा रहा था तो 3जून 2014 को कुछ स्थानीय संघ कार्यकर्ता सौ लोगों की भीड़ लेकर मस्जिद में घुस गये। मरम्मत का काम उन्होंने रोक दिया और तिरपाल भी हटाते हुए हंगामा करने लगे। पुलिस को उन्होंने यह कहकर बुलाया कि यहाँ नया अवैध निर्माण किया जा रहा है, जबकि वहाँ सिर्फ आँधी से हुए नुकसान की मरम्मत की जा रही थी। पुलिस ने आकर मरम्मत का काम रोक दिया और मस्जिद की कमेटी के एक पदाधिकारी मो. निसार को ही चौकी पर ले जाकर उसके खिलाफ़ रिपोर्ट दर्ज़ कर ली। इसके बाद से नमाज़ खुले आसमान के नीच तिरपाल लगाकर होने लगी, लेकिन संघ के कार्यकर्ताओं द्वारा हिन्दू आबादी के बीच प्रचार और धार्मि‍क आधार पर गोलबन्दीे का काम लगातार चलता रहा।

14-15 अगस्त की घटना और उसके बाद

बिलाल वेलफेयर सोसाइटी के लोगों ने 15 अगस्त को मस्जिद के सामने की खुली ज़मीन पर झण्डारोहण के कार्यक्रम की तैयार की थी और एक टेण्ट तथा 100 कुर्सियाँ 14 अगस्त को लगा दी गयी थीं। लेकिन 14 अगस्त की रात को स्थानीय पुलिस चौकी इंचार्ज ने वहाँ पहुँचकर टेण्ट और कुर्सियाँ हटवा दीं और मस्जिद के इमाम का मोबाइल ज़ब्त कर लिया। उनका कहना था कि इसकी अनुमति नहीं है। स्थानीय मुस्लिम आबादी के लोगों का कहना था कि शहर की तमाम कालोनियों में नागरिक सार्वजनिक पार्कों में 15 अगस्त का आयोजन करते हैं और इसके लिए उन्हें किसी पूर्व अनुमति की ज़रूरत नहीं पड़ती, लेकिन पुलिस ने उनकी एक न सुनी।

15 अगस्त की सुबह 4-5 सौ लोगों की भीड़ लेकर संघ और बजरंग दल के लोग (इस भीड़ में ज़्यादातर बाहरी लोग थे) मस्जिद पर पहुँचे और उग्र धार्मिक नारे लगाते हुए झण्डारोहण की कोशिश करने लगे। इसबार पुलिस ने अनुमति नहीं होने का तर्क नहीं दिया और भीड़ को हटाने की कोई कोशिश नहीं की। फिर यह तय हुआ कि दोनों समुदायों के पाँच-पाँच लोग झण्डारोहण कर दें। लेकिन झण्डारोहण के बाद भीड़ ने फिर उग्र धार्मिक नारे लगाये और मस्जिद के चारो ओर की जगह पर गंगाजल का छिड़काव किया। पुलिस सबकुछ चुपचाप देखती रही।

बस्ती के नागरिकों से यह जानकारी मिली कि संघ और बजरंग दल के लोगों ने 14 अगस्त को यह व्यापक प्रचार किया था कि मुसलमान बिलाल मस्जिद पर पाकिस्तान का झण्डा‍ फहराने वाले हैं। 15 अगस्त की शाम को पुलिस ने फहराये हुए झण्डे को और डण्डे‍ को ज़ब्त करके थाने पर रख लिया। लेकिन उसी दिन एक जला हुआ झण्डा लेकर संघ कार्यकर्ताओं ने इसका व्याापक प्रचार किया कि मुस्लिम समुदाय ने राष्ट्रीय झण्डे को जलाया है। पुलिस ने बाद में स्पष्ट कर दिया कि फहराया गया झण्डा उसके पास सु‍रक्षित है।

16 अगस्त को संघ कार्यकर्ताओं के नेतृत्व‍ में भीड़ एक बार फिर मस्जिद पर इकट्ठी हुई और झण्डा फहराने की कोशिश करने लगी। पुलिस ने उन्हें रोक दिया। फिर भीड़ यह धमकी देते हुए वापस लौट गयी कि पुलिस के हटने के बाद वे फिर आयेंगे।

15 अगस्त की घटना का माहौल संघ परिवार द्वारा काफी पहले से ही बनाया जा रहा था। उस दिन वहाँ भीड़ जुटाने के लिए शाहाबाद डेरी, बवाना, नरेला आदि निकटवर्ती क्षेत्रों के संघ कार्यकर्ताओं को पहले से ही मुस्तैद कर दिया गया था। संघ परिवार द्वारा योजनाबद्ध ढंग से यह सबकुछ किये जाने के मुस्लिम समुदाय के आरोप के जवाब में संघ के प्रांत प्रचार-प्रमुख राजीव तुली ने मीडिया को बताया, ”ये सभी आरोप आधारहीन हैं। स्थानीय मुस्लिम मस्जिद के सामने की जगह को क़ब्ज़ा करने की फ़‍िराक़ में हैं। मस्जिद अनाधिकृत है। दरअसल ये लोग हमारे राष्ट्रीय झण्डे का अनादर करते हैं।” बाहरी दिल्ली के डी.सी.पी. विक्रमजीत सिंह का सुर भी संघ के प्रांत प्रचार प्रमुख से मिलता हुआ था। उनका भी कहना था कि मस्जिद सरकारी ज़मीन पर अवैध क़ब्ज़ा करके बना है। लेकिन सच्चाई तो यह है कि होलम्बी कलां फ़ेज-2 में मौजूद कुल 28 मन्दिर भी सरकारी ज़मीन पर बिना किसी अलॉटमेण्टो या अनुमति के ही बने हुए हैं और तीन और ऐसे मन्दिर निर्माणाधीन हैं, फिर इस एक मस्जिद को ही मुद्दा क्यों बनाया जा रहा है। 15 अगस्त को लगभग हज़ार से अधिक लोगों की उपस्थिति में घटी घटना के ब्योरे को नकारते हुए डी.सी.पी. महोदय का कहना है कि दोनों समुदाय 15 अगस्त का आयोजन पार्क में अलग-अलग करना चाहते थे और एक समुदाय दूसरे का विरोध कर रहा था, तब पुलिस ने साम्प्रदायिक टकराव को बचाने के लिए हस्तक्षेप किया और दोनों को आयोजन एक साथ करने के लिए कहा। ज़ाहिर है, पुलिस प्रशासन का रवैया स्पष्टत: पक्षधर रहा है और संघ परिवार की सारी उकसावेबाजी की सरगर्मि‍यों की वह लगातार अनदेखी करता रहा है।

संघ के प्रचार के तरीके और आगे की तैयारियाँ

नौजवान भारत सभा की जाँच-पड़ताल टीम को इस इलाके में संघ परिवार की तैयारियों, तौर-तरीकों और योजनाओं के बारे में कई चौंकाने वाली जानकारियाँ मिलीं।

घर-घर, मुँहा मुँही और शाखाओं के दौरान प्रचार के परम्परागत तरीकों के अतिरिक्त संघ के स्थानीय अग्रणी कर्ताधर्ता विश्वसनीय लोगों की अन्दरूनी सर्किल का एक ह्वाट्सएप ग्रुप बनाकर उसके द्वारा आपस में लगातार सम्‍‍पर्क में रहते हैं, त्वरित सूचनाएँ पहुँचाते हैं और योजनाओं के बारे में विचारों का आदान-प्रदान करते हैं। इस ह्वाट्सएप ग्रुप का नाम ‘RSS Haripur nagar’ है और इसे चलाने वाला मुख्य व्यक्ति एक अग्रणी स्थानीय संघ कार्यकर्ता इन्द्रेश है (कैलाश, डा.प्रमोद, डा.रवि, राष्ट्रपाल झाकड़ा आदि अन्य अग्रणी लोग हैं)। उक्त व्हाट्एप ग्रुप 15 अगस्त की घटना के पहले से ही सक्रिय है और अगस्त में कुछ दिनों तक की (15 अगस्त से 29 अगस्त ) उनकी आपसी बातचीत का पूरा ब्यो‍रा भी नौ.भा.स. की जाँच-पड़ताल टीम को कुछ अन्‍दरूनी सूत्रों से प्राप्त हो गया है (जो इस रिपोर्ट के साथ संलग्‍न है)।

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उन्हींं अन्द‍रूनी सूत्रों से हमें पता चला कि होलम्बी कलां के पूरे मामले की जिम्मेदारी अब बजरंग दल को दे दी गयी है। बजरंग दल ने विगत 7 सितम्बर और 13 सितम्बर को मेट्रो विहार, फ़ेज-2 के ए ब्लॉक में अपनी गुप्त बैठकें कीं और आगे की योजना बनाईं। योजना यह है कि 25 सितम्बर को, या उसके आसपास, होलम्बी कलां में ”सबक सिखाने वाली” कोई बड़ी कार्रवाई की जाये। इस कार्रवाई को अंजाम देने में अलीपुर, शाहाबाद डेरी, सन्नोठ और बवाना से सौ-डेढ़ सौ बाहरी लड़के आयेंगे। इसीसे यह भी पता चला कि इन सभी निकटवर्ती क्षेत्रों में भी बजरंग दल और संघ की अन्दरूनी गुप्त तैयारियाँ जोर-शोर से चल रही हैं। 7 सितम्बर की मीटिंग में लोगों में तलवारें बाँटने की योजना रखी गयी और यह तय किया गया कि 20 सितम्बर की मीटिंग में सभी तलवार के पैसे लिये जायेंगे (कोर टीम के लोगों को तलवारें नि:शुल्क दी जायेंगी), 25 सितम्बर की कार्रवाई की ठोस योजना बनाई जायेगी तथा 22 सितम्बर को तलवारें बाँटी जायेंगी।
इस रिपोर्ट का समापन किये जाने तक, 20 सितम्बर की रात 10 बजे तक हमें बजरंग दल की गुप्त मीटिंग के सम्पन्न होने की पक्की सूचना प्राप्त हो चुकी है, लेकिन मीटिंग में लिए गये फैसलों की जानकारी अभी नहीं मिल सकी है। कल शाम तक यह जानकारी शायद हमें प्राप्त हो जाये। फिर हम उसे अलग से इस रिपोर्ट के अनुपूरक के रूप में प्रस्तुत कर देंगे।

मेट्रो-विहार में अल-हीरा हाजरा नामक एक दूसरी मस्जिद भी है जिसके आसपास का इलाका मराठी बहुल इलाका है। बजरंग दल के अन्दरूनी सूत्रों से हमें इस इलाके में भी उनकी सक्रियता बढ़ाने की योजना की सूचना तो मिली, लेकिन ठीक‍-ठीक स्वरूप क्या होगा, इसकी जानकारी अभी नहीं हो पायी है।

4. नरेला में भी साम्प्रदायिक आग भड़काने की तैयारियाँ जारी

नरेला उत्तर-पश्चिमी दिल्ली का पुराना इलाका है जहाँ पुराने गाँव, नये मध्यवर्गीय इलाकों और पुरानी मज़दूर बस्तियों के अतिरिक्त नयी पुनर्वास कालोनियाँ भी हैं। नौ.भा.स.की जाँच-पड़ताल सर्वाधिक सघन रूप में होलम्बी कलां में हुई, लेकिन इसी दौरान हमें नरेला में भी साम्प्रदायिक तत्वों की सरगर्मि‍यों का पता चला।

विगत 12 सितम्बर को नरेला के पास रेलवे लाइन पर एक लड़के की कटी हुई लाश मिली, जिसे लेकर मेट्रो विहार में यह प्रचार किया गया कि यह वास्तव में एक हत्या थी जिसे मुस्लिमों ने अंजाम दिया था। ऐसा ही प्रचार नरेला की कुछ मज़दूर बस्तियों में भी किये जाने का तथ्य बजरंग दल के अन्दनरूनी स्रोतों से हमें प्राप्त हुआ। संघ परिवार टोटकों-अंधविश्वासों का भी किस प्रकार इस्तेमाल करता है, इसका पता इस तथ्य से चलता है कि मृतक लड़के के परिवार वालों से कहा गया कि वे किसी मुस्लिम परिवार के घर के आगे झाड़ू लगा दें।

दूसरी जानकारी यह मिली कि होलम्बी कलां के बिलाल मस्जिद की घटना को अपने ढंग से प्रचारित करते हुए नरेला फ़ेज-2 में बजरंग दल की सदस्यता का अभियान चलाया जा रहा है।

नरेला के पॉकेट-आठ में सर्वाधिक मुस्लिम आबादी है। इस इलाके में ही मस्जिद जैसे ही किसी मुद्दे को तूल देने की योजना है। इसके लिए मुख्यत: हिन्दी भाषी क्षेत्रों से आये मज़दूर इलाकों में प्रचार और सांगठनिक काम करके आधार बनाया जा रहा है तथा माहौल तैयार किया जा रहा है।

25 सितंबर (यानी बक़रीद) के आसपास होलम्बी कलां में मुख्यत: बाहरी लोगों को लाकर जिस किसी ”बड़ी कार्रवाई” की योजना बजरंग दल बना रहा है, उसमें नरेला से भी लड़कों को ले जाने की योजना है। इससे पता चलता है कि नरेला में उनकी अन्दरूनी सरगर्मि‍याँ जारी हैं।

5. भलस्वा डेरी की जे.जे.कालोनी में दंगा भड़काने के लिए योजनाबद्ध सरगर्मि‍याँ

भलस्वा डेरी की जे.जे. कालोनी 1999-2000 में बसायी गयी, जिसमें जहाँगीरपुरी, रोहिणी और निज़ामुद्दीन से उजड़ी आबादी का पुनर्वास हुआ। जहाँगीरपुरी से आयी आबादी में मुस्लिम परिवार अधिक थे। कालोनी के बी-6 और बी-7 ब्लॉक में मुस्लिम परिवार अधिक रहते हैं जिसके ठीक सामने बीस फुटा सड़क की दूसरी तरफ डी-1 ब्लॉक में हिन्दू आबादी की बहुलता है। अन्य ब्लॉकों में मिली-जुली आबादी है।

यहाँ पर दो-तीन वर्षों पहले आर.एस.एस. की शाखा लगने की शुरुआत हुई। डी ब्लॉक में एक मन्दिर है जिसके ठीक सामने एक मस्जिद है जो बी-7 ब्लॉक में आता है। गत कुछ माह पहले मन्दिर में कुछ बाहरी लड़कों का आना-जाना शुरू हुआ। फिर दो माह पहले मन्दिर का पुजारी अचानक ग़ायब हो गया। ग़ौरतलब है कि स्थानीय मुस्लिम आबादी से उसका कभी कोई वैमनस्य नहीं रहा, बल्कि सामान्य मेल-जोल के रिश्ते रहे। पुजारी के ग़ायब होने के बाद आरती का संचालन कुछ नौजवान करने लगे जो आर.एस.एस. के लोग थे। हिन्‍दुओं के बीच संघ कार्यकर्ताओं ने यह सुनियोजि‍त प्रचार किया कि पुजारी को मुसलमानों ने ही ग़ायब कराया है। मुस्लिम आबादी के इलाके को यहाँ बंगाली टोला नाम से जाना जाता है। संघ कार्यकर्ताओं ने यह खूब प्रचार किया है कि यहाँ रहने वाले लोग अवैध बांग्लांदेशी आप्रवासी हैं जो फर्जी पहचान पत्र बनवाकर यहाँ रह रहे हैं।

डी-1 ब्लॉक के मन्दिर में हर मंगलवार को हनुमान चालीसा का पाठ, विशेष आरती और जयकारा होते थे, लेकिन मस्जिद के अजान के समय से न तो उसका टकराव होता था, न ही उसके माइक के वॉल्यूम को लेकर नमाजियों को कभी कोई शिकायत रही। जबसे मंदिर के कार्यक्रम का संचालन आर.एस.एस. के लोगों की कमेटी करने लगी, उसके बाद ही समय के टकराव और आवाज़ के वॉल्यूम को लेकर अन्तरविरोध पैदा हुए। मन्दिर के पास ही कुछ मुस्लिमों की छोटी-छोटी दुकानें हैं। उनका कहना था कि हनुमान चालीसा, आरती और जयकारे की ऊँची आवाज़ में अजान की आवाज़ दब जाती है। दोनों समुदाय के बीच एक समझौते के तहत तय हुआ कि 8 बजे अजान होगी और 8-15 बजे आरती का समय होगा, लेकिन मंदिर की ओर से इस समझौते का पालन नहीं किया गया।

हर मंगलवार को हनुमान चालीसा पाठ व आरती में शामिल होने के लिए बाहर से 50 नौजवान बजरंग दल के एक व्यक्ति के नेतृत्व में आते थे, जिसके ख़‍िलाफ़, पुलिस के अनुसार, आसपास के थानों में कई मामले दर्ज़ हैं। स्थानीय लोगों ने यह भी बताया कि मंदिर की आरती का संचालन करने वाले आर.एस.एस. के आदमी के भाई को गत 4 सितंबर को पुलिस ने एक मुस्लिम लड़के पर चाकू से हमला करने के आरोप में गिरफ़्तार किया और उसकी अबतक जमानत नहीं हुई।

8 सितम्बर की घटना

8 सितम्बर (मंगलवार) को पहले की ही तरह अजान और हनुमान चालीसा पाठ-जयकारा की आवाज़ें जब एक दूसरे से टकराने लगीं, उसी समय पत्थरबाजी शुरू हो गयी। कुछ लोगों का कहना था कि पहले मन्दिर पर मस्जिद की ओर से पत्थर फेंके गये, लेकिन यह स्पष्ट नहीं है कि पत्थर बाहर से आये थे कि मन्दिर परिसर के भीतर से ही किसी ने फेंका था। दोनों तरफ से दस-पंद्रह मिनट तक पत्थर चले। पुलिस के आने पर स्थिति नियंत्रण में आयी। कुछ मुस्लिम परिवारों ने बताया कि उसी दौरान पाँच -छ: बाइकों पर बाहर से कुछ लोग आये, जो मुस्लिम युवकों के इकट्ठा हो जाने से लौट गये। कुछ लोगों ने बताया कि पुलिस ने कुछ बाइकें ज़ब्त की हैं जिनमें चाकू-कट्टा आदि थे। जब हमने इस दावे की पुष्टि करनी चाही तो पुलिस ने कुछ बताने से इनकार कर दिया। थाने पर फोन करने पर एस.एच.ओ. से बात करने को कहा गया, एस.एच.ओ. ने डी.सी.पी. से बात करने को कहा और डी.सी.पी. के कार्यालय ने कुछ भी नहीं बताया। हमने जितने लोगों से बातचीत की, सभी ने यही बताया कि पुलिस बाहर से आने वालों की पहचान से वाक़िफ़ है, फिर भी उसने अज्ञात लोगों के ख़‍िलाफ़ एफ.आई.आर. दर्ज़ की है।

स्था़नीय आबादी से व्यापक सम्पर्क के बाद पता चला कि न केवल मुस्लिम परिवारों को, बल्कि वर्षों से साम्प्रदायिक सद्भाव के माहौल में जी रही हिन्दु्ओं की अधिकांश आबादी को भी आर.एस.एस. के बाहरी लोगों द्वारा आकर साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की इस घटना पर क्षोभ है, लेकिन जो आबादी उग्र साम्प्रदायिक प्रचार से प्रभावित है, वह अधिक मुखर है।

फिलहाल पूरे इलाके में अफ़वाहों का बाज़ार ग़र्म है। संघ के लोग यह प्रचार कर रहे हैं (यह प्रचार डी-1 ब्लॉक में सबसे अधिक है) कि मुस्लिमों ने यह खुलेआम धमकी दी है कि बक़रीद के बाद हिंदुओं पर हमला बोलकर मारकाट मचाया जायेगा, इसलिए जवाबी कार्रवाई की पूरी तैयारी होनी चाहिए। आर.एस.एस. से जुड़े कुछ स्थानीय नौजवानों ने बताया कि बक़रीद के आसपास (23-25 सितंबर के बीच) भण्डारा का कार्यक्रम आयोजित किया जायेगा और मुसलमान यदि भैंसा काटेंगे तो हम सुअर काटेंगे क्योंकि वाल्मीकि पूजा में हमारे एक हिन्दू भाई के यहाँ भी सुअर की बलि दी जाती है। इन अफ़वाहों और भड़काऊ प्रचारों से सतह के नीचे साम्प्रदायिक तनाव लगातार सुलग रहा है। जबतक पुलिस आर.एस.एस. से जुड़े मन्दिर के नये मैनेजमेण्ट और बाहर से आने वाले तत्वों के ख़िलाफ़ कोई कठोर कार्रवाई नहीं करेगी, तबतक स्थिति को सामान्य बनाना मुश्किल होगा।

6. उपसंहार

उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के शाहाबाद डेरी, सूरज पार्क, राजा विहार, जहाँगीरपुरी, समयपुर बादली, बादली गाँव आदि अन्य मज़दूर इलाकों में भी इन दिनों बजरंग दल और संघ की सरगर्मि‍याँ काफी तेज हैं।

हमारी यह रिपोर्ट और हमारे सामान्य पर्यवेक्षण उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के बारे में है, लेकिन गत एक साल की घटी घटनाओं के आधार पर यह मानने के पर्याप्त आधार हैं कि पूरी दिल्ली के मज़दूर इलाकों में साम्प्रदायिकता का ज़हर तेज़ी से फैल रहा है और हिन्दुत्ववादी ताकतें मज़दूर इलाकों के विमानवीकृत-लम्पट तत्वों के बीच से और निम्न पूँजीवादी वर्गों के बीच से अपने ‘स्टॉर्म ट्रूपर्स’ के गिरोह या गुण्डा वाहिनियों में भरती करने के लिए विशेष रूप से सक्रिय हैं। साथ ही, मज़दूरों की वर्गीय एकजुटता को धार्मि‍क आधार पर तोड़कर और साम्प्रदायिक ध्रुवीकरण को बढ़ाकर वे निजीकरण-उदारीकरण की नीतियों का कहर झेल रहे मज़दूरों के सम्भावित प्रतिरोध की ज़मीन को कमज़ोर बनाने का काम कर रही है।

आम जनता की एकजुटता पर साम्प्रदायिक शक्तियों के इस सुसंगठित-सुनियोजित हमले का मुकाबला करने के लिए हम सभी जनपक्षधर शक्तियों से एकजुट होने, सक्रिय होने, साम्प्रदायिक कट्टरपंथ के विरुद्ध व्यापक एवं सघन प्रचार अभियान चलाने तथा विशेष तौर पर मज़दूरों और युवाओं को तृणमूल स्तर पर संगठित करने का आह्वान करते हैं। हम अपील करते हैं कि सभी जनपक्षधर बुद्धिजीवी, मज़दूर संगठन और छात्र-युवा संगठन मिलकर दिल्ली पुलिस और सरकार पर साम्प्रदायिक गुण्डा गिरोहों के खिलाफ़ सख़्त क़दम उठाने के लिए ज़बर्दस्त जन दबाव बनायें।

नौजवान भारत सभा
उत्तर-पश्चिमी दिल्ली , 20 सितम्बर,2015

नौजवान भारत सभा की ओर से त्‍वरित कार्रवाई की अपील करते हुए इस रिपोर्ट की प्रतिलिपि निम्‍न को भेज दी गई है:

President of India
Ministry of Home Affairs, Govt. of India
National Human Rights Commission, India
National Commission for Minorities
Commissioner of Police, Delhi
Lt. Governor of Delhi
Chief Minister Delhi
Special Commissioner of Police, Operation: Delhi
DCP North-West Delhi
DCP Outer Delhi

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2 Thoughts to “दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की हिन्दुत्ववादी साज़ि‍शें”

  1. Dr.Abhaya Kumar Pathak

    हमारी एकजुटता

  2. Very important findings. We must be ready to face it and fail these attempts of Hindutva gang.

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