जेएनयू पर फासीवादी हमला नहीं सहेंगे! भगवा ब्रिगेड की साज़िशें नहीं चलेंगी!

जेएनयू पर फासीवादी हमला नहीं सहेंगे! भगवा ब्रिगेड की साज़िशें नहीं चलेंगी!
फासीवाद का एक जवाब-इंक़लाब ज़िन्दाबाद!

साथियो!

अब यह बात सभी जानते हैं कि जेएनयू के छात्र संघ अध्यक्ष समेत कई छात्रों पर झूठे आरोप लगाकर उन्हें फँसाया गया है। हमेशा की तरह भारत के भगवा फासीवादियों ने अपने इतालवी और जर्मन पिताओं के समान झूठ, फरेब और षड्यन्त्र का सहारा लिया है। हाल ही में रोहिथ वेमुला के उत्पीड़न के लिए भी भगवा छात्र संगठन ने उस पर झूठे आरोप लगाये थे। ये वही तौर-तरीके हैं जो हिटलर और मुसोलिनी ने लागू किये थे। जर्मनी में हर प्रगतिशील और जनवादी ताक़त को कुचलने के लिए नात्सियों ने भी स्वयं राइख़स्टाग में आग लगायी थी और इल्ज़ाम प्रगतिशील विरोध की शक्तियों पर डाल दिया था। जेएनयू में भी उनकी जारज औलादों ने वही काम किया है। सभी जानते हैं कि भड़काऊ नारे लगाने का काम भगवा छात्र संगठन के लम्पट तत्वों ने किया था, ताकि बाद में जेएनयू की पूरी जनवादी संस्कृति, मूल्यों व मान्यताओं पर हमला किया जा सके। लेकिन कई बार पासा उलटा पड़ जाता है और इस बार भी फासीवादियों के साथ ऐसा ही होगा।

anti_fascism_by_benheine-d2lo8nuपूरे देश के आम छात्र युवा बड़े पैमाने पर इस हमले की मुख़ालफ़त कर रहे हैं। जेएनयू के छात्रों ने एकजुट होकर इसका विरोध किया है। दिल्ली विश्वविद्यालय और अम्बेडकर विश्वविद्यालय के छात्र भी इस संघर्ष में उनका साथ दे रहे हैं। हम किसी भी सूरत में जेएनयू जैसी संस्था को बरबाद नहीं होने देंगे। चाहे जो भी हो मगर जेएनयू जनवादी और प्रगतिशील परम्पराओं और मूल्यों का पालना रहा है और यही कारण भी है कि यह फासीवादियों की आँखों में खटकता रहा है। जेएनयू छात्र संघ के अध्यक्ष को रिहा कराने और तमाम अन्य छात्रों पर भी डाले गये फर्जी मुकदमों की वापसी तक यह संघर्ष जारी रहेगा।

दक्षिणपंथी छात्र संगठन के गुण्डों-लम्पटों और साथ ही कुछ ग़ैर-ज़िम्मेदार परिधिगत अराजकतावादियों की हरक़तों के कारण पूरे जेएनयू को ‘राष्ट्रद्रोहियों का गढ़’, ‘देशद्रोहियों का प्रशिक्षण केन्द्र’ आदि घोषित किया जा रहा है। जेएनयू के प्रगतिशील छात्र आन्दोलन को न सिर्फ़ इन भगवा तत्वों को बेनक़ाब करना चाहिए वहीं ऐसे तमाम लम्पट अराजकतावादी तत्वों को भी किनारे करना चाहिए जो कि समूचे छात्र आन्दोलन को उसके एजेण्डे से भटका रहे हैं और साम्प्रदायिक फासीवादियों को यह मौका दे रहे हैं कि वे पूरे देश में इस संस्था को बदनाम कर सकें। हमारी लड़ाई यहाँ से सिर्फ़ शुरू होती है कि हम जेएनयू पर फासीवादियों के मौजूदा हमले को नाकामयाब कर दें। लेकिन इसके बाद देश के आम जनसमुदायों में भी हमें इस हमले की पोल खोलनी होगी। कारण यह कि अगर हम लोगों के बीच नहीं जायेंगे तो भगवा ब्रिगेड जायेगी। और जेएनयू इस शहर और इस समाज का अंग है। हमें समाज में भगवा ताक़तों द्वारा जेएनयू की घेराबन्दी का अवसर नहीं देना चाहिए और शहर भर में, बल्कि देश भर में व्यापक प्रचार अभियान के ज़रिये ‘हिटलर के तम्बू’ में बैठे इन फासीवादियों की साज़िशों को बेनक़ाब करना चाहिए।

हम इस संघर्ष में पुरज़ोर तौर पर अपनी संलग्नता और समर्थन अभिव्यक्त करते हैं और इस संघर्ष को आगे बढ़ाने के लिए हर सम्भव कदम उठाने की प्रतिबद्धता ज़ाहिर करते हैं। फासीवादी ताक़तों का मुकाबला करने के लिए व्यापक छात्र आन्दोलन के साथ व्यापक युवा आन्दोलन खड़ा करने की बेहद ज़रूरत है और गली-कूचों तक में इन बर्बरों का मुकाबला करने की शक्ति खड़ी करने की ज़रूरत है। इतिहास में भी वे हमसे हारे हैं और अब भी अन्ततः वे हमसे हारेंगे।

फासीवाद का एक जवाब-इंक़लाब ज़िन्दाबाद!

अन्धकार का युग बीतेगा-जो लड़ेगा वह जीतेगा!

नौजवान भारत सभा,  दिशा छात्र संगठन, यूनीवर्सिटी कम्युनिटी फॉर डेमोक्रेसी एण्ड इक्वॉलिटी (यूसीडीई)

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