भारतीय क्रान्ति का आदर्श
भगतसिंह क्रान्ति के वैचारिक प्रश्नों पर निरन्तर अध्ययन-मनन कर रहे थे। वह बड़े व्यवस्थित ढंग से नोट्स लेते थे और अपने चिन्तन को तरतीब देने का काम करते रहते थे। उनकी जेल नोटबुक इस बात का ठोस प्रमाण है। नीचे दिया गया दस्तावेज़ भी इसका साक्ष्य है। यह एक टिप्पणी की शक्ल में है, जिसे अदालत में पेश किया गया था। – स.
- भारतीय क्रान्ति का आदर्श
(क) अंग्रेज़ी भारत में प्रकट और गुप्त क्रान्तियों का इतिहास
(ख) रिपब्लिक का आदर्श
(ग) 1914-15 का विद्रोह, स्वतन्त्रता, समानता एवं भ्रातृत्व का आदर्श
(घ) भारतीय राजकुमार और क्रान्तिकारी ‘सरकार का परचा’।
(‘सरकार’ एक बंगाली लेखक थे। – स.)
(घ) भारतीय मुसलमान राजाओं को तुर्की का सन्देश
(च) बर्लिन कमेटी और जर्मन प्लाट
(छ) 1919 का विद्रोह और दंगे
(ज) असहयोग
स्वराज्य बिना किसी स्पष्ट परिभाषा के
(झ) असहयोग आन्दोलन की असफलता और क्रान्तिकारी दल
(ञ) 1925 का घोषणापत्र
(त) विचारधाराओं के अब के स्कूल –
- सरकार के स्कूल की विचारधारा (साम्प्रदायिक)
- बंगाल स्कूल की विचारधारा (राष्ट्रवादी)
- चन्द्रनगर आम विचारधारा का स्कूल – मोतीलाल (अध्यात्मवादी)
- उच्च विहार (समाजवादी) डॉ. भूपेन्द्रनाथ दत्त
- 5. कम्युनिस्ट विचारधारा का स्कूल
- 6. बूर्ज्वाजी
नेहरू रिपोर्ट (मोतीलाल नेहरू रिपोर्ट, जिसमें डोमिनियन स्टेटस की माँग की गयी थी। – स.)
- 7. पी.बी. (शायद प्रोविशियल बोर्ड की ओर संकेत है, जो क्रान्तिकारी दल की स्थापना के सिलसिले में एक और जगह
आया है। – स.)
- 8. ढंग
- आतंकवादी
- जनक्रान्तिकारी
- अहिसक सिविल नाफ़रमानी
अराजकतावाद
समाजवाद
साम्यवाद
सिडनीकेनिज़्म
कुल्किटीविज़्म
- भारतीय क्रान्ति का आदर्श
- क्रान्ति या दुनिया की क्रान्ति का आदर्श
- विवाह।
शहीद भगतसिंह व उनके साथियों के बाकी दस्तावेजों को यूनिकोड फॉर्मेट में आप इस लिंक से पढ़ सकते हैं।
ये लेख राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित ‘भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़’ से लिया गया है। पुस्तक का परिचय वहीं से साभार – अपने देश और पूरी दुनिया के क्रान्तिकारी साहित्य की ऐतिहासिक विरासत को प्रस्तुत करने के क्रम में राहुल फाउण्डेशन ने भगतसिंह और उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर जागरूक नागरिकों और प्रगतिकामी युवाओं तक पहुँचाया है और इसी सोच के तहत, अब भगतसिंह और उनके साथियों के अब तक उपलब्ध सभी दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है।
इक्कीसवीं शताब्दी में भगतसिंह को याद करना और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का उपक्रम एक विस्मृत क्रान्तिकारी परम्परा का पुन:स्मरण मात्र ही नहीं है। भगतसिंह का चिन्तन परम्परा और परिवर्तन के द्वन्द्व का जीवन्त रूप है और आज, जब नयी क्रान्तिकारी शक्तियों को एक बार फिर नयी समाजवादी क्रान्ति की रणनीति और आम रणकौशल विकसित करना है तो भगतसिंह की विचार-प्रक्रिया और उसके निष्कर्षों से कुछ बहुमूल्य चीज़ें सीखने को मिलेंगी।
इन विचारों से देश की व्यापक जनता को, विशेषकर उन करोड़ों जागरूक, विद्रोही, सम्भावनासम्पन्न युवाओं को परिचित कराना आवश्यक है जिनके कन्धे पर भविष्य-निर्माण का कठिन ऐतिहासिक दायित्व है। इसी उदेश्य से भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़ों का यह संकलन प्रस्तुत है।
आयरिश क्रान्तिकारी डान ब्रीन की पुस्तक के भगतसिंह द्वारा किये गये अनुवाद और उनकी जेल नोटबुक के साथ ही, भगतसिंह और उनके साथियों और सभी 108 उपलब्ध दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है। इसके बावजूद ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ?’ जैसे कर्इ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों और जेल नोटबुक का जिस तरह आठवें-नवें दशक में पता चला, उसे देखते हुए, अभी भी कुछ सामग्री यहाँ-वहाँ पड़ी होगी, यह मानने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। इसीलिए इस संकलन को ‘सम्पूर्ण दस्तावेज़’ के बजाय ‘सम्पूर्ण उपलब्ध’ दस्तावेज़ नाम दिया गया है।
व्यापक जनता तक पहूँचाने के लिए राहुल फाउण्डेशन ने इस पुस्तक का मुल्य बेहद कम रखा है (250 रू.)। अगर आप ये पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो इस लिंक पर जायें या फिर नीचे दिये गये फोन/ईमेल पर सम्पर्क करें।
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