एक दुर्लभ दस्तावेज़
श्रीमान जी,
मुझे 29 मई 1927 को भारतीय दण्ड विधान की धारा 302 के अन्तर्गत गिरफ़्तार किया गया और पाँच सप्ताह तक पुलिस हिरासत में बन्द रखा गया। मुझे 4 जुलाई 1927 को जमानत पर छोड़ा गया। तब से मुझे कभी भी पुलिस द्वारा या किसी भी अदालत द्वारा इस धारा के अन्तर्गत मुक़दमे का सामना करने के लिए नहीं बुलाया गया, अतः मैं मान रहा हूँ कि आपकी छानबीन पूरी हो गयी है और मेरे ख़िलाफ़ कुछ नहीं मिला है और व्यवहारतः आपने केस वापिस ले लिया है। इन परिस्थितियों में मैं आपसे अनुरोध करता हूँ कि मेरी गिरफ्तारी के समय मेरे शरीर से बरामद सभी वस्तुएँ कृपया लौटा दें। मुझे सूचित करें कि इस उद्देश्य के लिए मैं आपसे कब और कहाँ मिलूँ। जल्द अनुग्रह का बहुत आभार होगा।
आपका इत्यादि
भगतसिंह के मुक़दमे में इस पत्र को विशेष अदालत के जज जे. कोल्डस्ट्रम के समक्ष प्रमाण के रूप में प्रस्तुत किया गया। मूल ख़त व भगतसिंह के पिता सरदार किशन सिंह का लेटरहेड अंग्रेज़ी में है। पत्र टाइप किया हुआ है जिसमें एक-दो शब्द हाथ से लिखे गये हैं। यह पत्र एस.आई. सादिक़ अली शाह के 2 मई, 1929 के दस्तख़त के बाद अदालत में प्रस्तुत किया गया जिसे पढ़कर लाहौर षड्यन्त्र केस की फ़ाइल से जोड़ा गया। – स.
शहीद भगतसिंह व उनके साथियों के बाकी दस्तावेजों को यूनिकोड फॉर्मेट में आप इस लिंक से पढ़ सकते हैं।
ये लेख राहुल फाउण्डेशन द्वारा प्रकाशित ‘भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़’ से लिया गया है। पुस्तक का परिचय वहीं से साभार – अपने देश और पूरी दुनिया के क्रान्तिकारी साहित्य की ऐतिहासिक विरासत को प्रस्तुत करने के क्रम में राहुल फाउण्डेशन ने भगतसिंह और उनके साथियों के महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों को बड़े पैमाने पर जागरूक नागरिकों और प्रगतिकामी युवाओं तक पहुँचाया है और इसी सोच के तहत, अब भगतसिंह और उनके साथियों के अब तक उपलब्ध सभी दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है।
इक्कीसवीं शताब्दी में भगतसिंह को याद करना और उनके विचारों को जन-जन तक पहुँचाने का उपक्रम एक विस्मृत क्रान्तिकारी परम्परा का पुन:स्मरण मात्र ही नहीं है। भगतसिंह का चिन्तन परम्परा और परिवर्तन के द्वन्द्व का जीवन्त रूप है और आज, जब नयी क्रान्तिकारी शक्तियों को एक बार फिर नयी समाजवादी क्रान्ति की रणनीति और आम रणकौशल विकसित करना है तो भगतसिंह की विचार-प्रक्रिया और उसके निष्कर्षों से कुछ बहुमूल्य चीज़ें सीखने को मिलेंगी।
इन विचारों से देश की व्यापक जनता को, विशेषकर उन करोड़ों जागरूक, विद्रोही, सम्भावनासम्पन्न युवाओं को परिचित कराना आवश्यक है जिनके कन्धे पर भविष्य-निर्माण का कठिन ऐतिहासिक दायित्व है। इसी उदेश्य से भगतसिंह और उनके साथियों के सम्पूर्ण उपलब्ध दस्तावेज़ों का यह संकलन प्रस्तुत है।
आयरिश क्रान्तिकारी डान ब्रीन की पुस्तक के भगतसिंह द्वारा किये गये अनुवाद और उनकी जेल नोटबुक के साथ ही, भगतसिंह और उनके साथियों और सभी 108 उपलब्ध दस्तावेज़ों को पहली बार एक साथ प्रकाशित किया गया है। इसके बावजूद ‘मैं नास्तिक क्यों हूँ?’ जैसे कर्इ महत्त्वपूर्ण दस्तावेज़ों और जेल नोटबुक का जिस तरह आठवें-नवें दशक में पता चला, उसे देखते हुए, अभी भी कुछ सामग्री यहाँ-वहाँ पड़ी होगी, यह मानने के पर्याप्त कारण मौजूद हैं। इसीलिए इस संकलन को ‘सम्पूर्ण दस्तावेज़’ के बजाय ‘सम्पूर्ण उपलब्ध’ दस्तावेज़ नाम दिया गया है।
व्यापक जनता तक पहूँचाने के लिए राहुल फाउण्डेशन ने इस पुस्तक का मुल्य बेहद कम रखा है (250 रू.)। अगर आप ये पुस्तक खरीदना चाहते हैं तो इस लिंक पर जायें या फिर नीचे दिये गये फोन/ईमेल पर सम्पर्क करें।
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