सच्चे देशभक्तों को याद करो! नकली “देशभक्तों” की असलियत को पहचानो!

देशभक्त यादगारी अभियान
देश कागज़ पर बना नक्शा नहीं होता…
सच्चे देशभक्तों को याद करो! नयी क्रान्ति की राह चुनो!

भाइयो! बहनो!

जब भी हम देशभक्ति के बारे में सोचते हैं, तो जो पहला नाम हमारे दिमाग़ में आता है वह है शहीदे-आज़म भगतसिंह और उनके साथियों राजगुरू, सुखदेव, चन्द्रशेखर आज़ाद, अशफ़ाक-उल्ला, बिस्मिल का नाम। अंग्रेज़ों की गुलामी और किसानों और मज़दूरों के शोषण के ख़ि‍लाफ़ इन्होंने एक महान लड़ाई लड़ी और उसके लिए बहादुरी के साथ अपने प्राण त्याग दिये।

शहीदे-आज़म भगतसिंह की देशभक्ति

भगतसिंह का मानना था कि देश का अर्थ कोई काग़ज़ी नक्शा नहीं। देश को मातृभूमि या पितृभूमि कहने का अर्थ कोई हवाई सोच नहीं है। माँ या पिता वे होते हैं जो बच्चे को भोजन, वस्त्र और शरण देते हैं। ऐसे में देश और देशभक्ति का अर्थ क्या है? देश के सच्चे माँ और पिता कौन हैं? वे जो देश को रोटी, कपड़ा और मकान मुहैया कराते हैं। ये लोग हैं इस देश के 84 करोड़ मज़दूर, मध्यवर्ग और ग़रीब किसान जो कि महँगाई, बेरोज़गारी, सूखे, अम्बानियों-अदानियों की लूट और सरकारी दमन का शिकार हो आत्महत्याएँ करने को मजबूर हैं। ये वे लोग हैं जो देश में सुई से लेकर जहाज़ तक बना रहे हैं। अगर ‘देश’, ‘राष्ट्र’, ‘भारत माता’, ‘हिन्द’, ‘भारत’ जैसे विशाल शब्दों का कोई सच्चा अर्थ है, तो वह ये ही लोग हैं! भगतसिंह का मानना था की देश का अर्थ ये ही मज़दूर, आम मेहनती लोग और किसान हैं। ऐसे में देशभक्ति का अर्थ क्या हुआ? यह कि इस अन्नदाता, वस्त्रदाता, शरणदाता आबादी को ग़रीबी, बेरोज़गारी, महँगाई और पूँजीपतियों की गुलामी से मुक्ति मिले। शहीदे-आज़म भगतसिंह ने इसीलिए कहा था कि हमारे लिए आज़ादी का मतलब केवल अंग्रेज़ों से आज़ादी नहीं है, बल्कि इस देश के मज़दूरों और किसानों को हर प्रकार की लूट और शोषण से आज़ादी दिलाना है।

संघ परिवार व मोदी के “राष्‍ट्रवाद” की नौटंकी

Deshbhakt yadgari abhiyanआज पूरे देश में कुछ ताक़तें देशभक्ति और राष्ट्रवाद की ठेकेदार बने हुई हैं। ये देशभक्ति की नयी परिभाषा रच रही हैं। इनके अनुसार, जो मोदी सरकार और आर.एस.एस. की आलोचना करे, वह देशद्रोही है। लेकिन दोस्तो ज़रा सोचिये कि भाजपा और संघ परिवार के ये लोग देशभक्ति के ठेकेदार कब से बन गये? क्या आपको याद है कि भाजपा के मन्त्रियों ने कारगिल युद्ध के बाद मारे गये भारतीय सैनिकों के लिए ताबूत की ख़रीद में भी घोटाला कर दिया था? क्या आप भूल गये कि सेना के लिए ख़रीद में दलाली और रिश्वत खाते हुए भाजपा के अध्यक्ष बंगारू लक्ष्मण पकड़े गये थे? क्या आपको याद नहीं कि भाजपा के एक नेता दिलीप सिंह जूदेव कैमरा पर रिश्वत लेकर यह बोलते हुए पकड़े गये थे कि ‘पैसा खुदा नहीं तो खुदा से कम भी नहीं!’ क्या आपको याद नहीं है कि भाजपा की सरकार ने देश में पहली बार सरकारी नौकरियों को ख़त्म करने के लिए विनिवेश मन्त्रलय बनाया था? क्या हम भूल सकते हैं कि 1925 में अपनी स्थापना से 1947 में आज़ादी मिलने तक आर.एस.एस. ने हमेशा आज़ादी की लड़ाई विरोध किया था और इनके नेताओं ने भगतसिंह की शहादत को ‘बेकार की कुर्बानी’ बताया था? क्या आप भूल सकते हैं कि जिस समय भगतसिंह और उनके साथी अंग्रेज़ी हुकूमत से फाँसी की बजाय गोली मारे जाने की माँग करते हुए शहादत को गले लगा रहे थे, उस समय हिन्दू महासभा के सावरकर अण्डमान जेल से अंग्रेज़ी सरकार से माफ़ी माँगते हुए और कभी भी अंग्रेज़ों के विरुद्ध कोई गतिविधि न करने का वायदा करते हुए माप़फ़ीनामे पर माफ़ीनामे लिख रहे थे? क्या आपको पता है कि 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में जब देश के नौजवान उतर पड़े थे, तो अटलबिहारी वाजपेयी ने आन्दोलन में शामिल लोगों की मुखबिरी अंग्रेज़ों से की थी? आज़ादी के बाद जब कांग्रेस की इन्दिरा गाँधी की सरकार ने नौजवानों और मज़दूरों के आन्दोलन को दबाने के लिए एमरजेंसी लगायी तो आर.एस.एस. के नेता देवरस इन्दिरा गाँधी के नाम मा(फ़ीनामा लिख रहे थे और उन्हें देवीतुल्य बता रहे थे? क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने अपने दो बजटों में देश के 5 फीसदी अमीर लोगों के लिए नीतियाँ बनाते हुए टाटाओं, बिड़लाओं, अम्बानियों, अदानियों को पिछले दस साल में दी गयी 42 लाख करोड़ रुपये की कर माफी को जारी रखा है? वह भी उस समय जब देश में पिछले दो वर्षों में कर्ज़ तले दबकर लाखों ग़रीब किसानों ने आत्महत्याएँ की हैं? क्या आपको पता है कि मोदी सरकार ने शिक्षा के ख़र्च को आधा कर दिया है जिससे कि स्कूलों और कॉलेजों की फीसें इतनी बढ़ जायेंगी कि आप और हम अपने बच्चों को उसमें पढ़ाने का सपना भी नहीं देख पायेंगे? खाने के सामान पर सब्सिडी को मोदी सरकार ने लगभग 10,000 करोड़ रुपया कम कर दिया है; स्वास्थ्य व परिवार कल्याण पर करीब 6000 करोड़ रुपये की कटौती की गयी है, यानी आपको अब सरकारी अस्पताल में दवा और इलाज पहले से दुगुना महँगा मिलेगा; बड़ी-बड़ी देशी-विदेशी कम्पनियों का 1.14 लाख करोड़ रुपये का बैंक कर्ज सरकार ने माफ़ कर दिया है और दूसरी तरफ़ हमारी जेब पर डकैती डालते हुए सारे अप्रत्यक्ष कर बढ़ा दिये गये हैं, जिससे की महँगाई तेज़ी से बढ़ी है; अम्बानियों-अदानियों का 70,000 करोड़ रुपये का पेण्डिंग टैक्स भी माफ़ कर दिया गया है; दूसरी तरफ़ मोदी की “देशभक्त सरकार” ने खाने के सामानों में वायदा कारोबार की इजाज़त देकर सट्टेबाज़ी के दरवाज़े खोल दिये हैं, जिसके कारण दाल 170 रुपया किलो बिक रही है! छोटे व्यापारियों की पार्टी कहलाने वाली भाजपा ने खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की इजाज़त देकर सारे छोटे उद्यमों को तबाह करने का रास्ता खोल दिया है; यहाँ तक कि इन्होंने रक्षा क्षेत्र तक में विदेशियों को घुसने की इजाज़त दे दी है! ये ही लोग पहले प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के विरोध की नौटंकी कर रहे थे क्योंकि इन्हें मध्यवर्ग का वोट चाहिए था। क्या यही है देशभक्ति? क्या यही है राष्ट्रवाद?

सच्चे देशभक्तों को याद करो! नकली “देशभक्तों” की असलियत को पहचानो!

खुद सोचिये भाइयो और बहनो! कहीं ‘देशभक्ति’, ‘राष्ट्रवाद’, ‘भारत माता’ का शोर मचाकर संघ परिवार और मोदी सरकार देश से ग़द्दारी करने के अपने पुराने इतिहास और जनता के ख़ि‍लाफ़ टाटा-बिड़ला-अम्बानी की दलाली करने की अपनी असलियत को ढँकने की कोशिश तो नहीं कर रहे हैं? कहीं ये असली मुद्दों से हमारा ध्यान भटकाने के लिए ये हल्ला तो नहीं मचा रहे हैं? कहीं संघ परिवार और मोदी सरकार इस शोर में महँगाई दूर करने, बेरोज़गारी से आज़ादी दिलाने, सभी खातों में 15 लाख रुपये डालने आदि के वायदे को भुला तो नहीं देना चाहते? सीधे कहें तो अपने आप से पूछिये भाइयो और बहनो-क्या आपको बेवकूफ़ तो नहीं बनाया जा रहा है? सोचिये! आपके असली दुश्मन कौन हैं? इस नफ़रत की सोच से अलग हटकर, ठहरकर एक बार सोचिये कि 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापम घोटाला करने वाले, घोटाले के 50 गवाहों की हत्याएँ करवाने वाले, विधानसभा में बैठकर पोर्न वीडियो देखने वाले, विजय माल्या और ललित मोदी जैसों को देश से भगाने में मदद करने वाले देशभक्ति और राष्ट्रवाद का ढोंग करके आपकी जेब पर डाका और घर में सेंध तो नहीं लगा रहे? कहीं ये ‘बाँटो और राज करो’ की अंग्रेज़ों की नीति हमारे ऊपर तो नहीं लागू कर रहे ताकि हम अपने असली दुश्मनों को पहचान कर, जाति-धर्म के झगड़े छोड़कर एकजुट न हो जाएँ? सोचिये साथियो, वरना कल बहुत देर हो जायेगी! जो आग ये लगा रहे हैं, उसमें हमारे घर, हमारे लोग भी झुलसेंगे। इसलिए सोचिये!

क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ,

फ़ासीवाद का एक इलाज – इंक़लाब ज़ि‍न्दाबाद!

नौजवान भारत सभा

बिगुल मज़दूर दस्ता

युनिवर्सिटी कम्युनिटी फॉर डेमोक्रसी एण्ड इक्वॉलिटी (यूसीडीई)

सम्पर्कः 9764594057, 9619039793, 9819672801, 9930529380,

फेसबुक पेज: www.facebook.com/naujavanbharatsabha ईमेल: naubhas@gmail.com

वेबसाइट: www.naubhas.com, www.mazdoorbigul.net, www.ucde-mu.blogspot.com

 पताः शहीद भगतसिंह पुस्तकालय, रूम न-103, बिल्डिंग 61 ए, लल्लूभाई कम्पाउण्ड, मानखुर्द (पश्चिम), 400089

Related posts

Leave a Comment

4 + twenty =