भगत सिंह का ख़्वाब, इलेक्शन नहीं इंक़लाब !
लखनऊ में भगत सिंह के विचारों को आम जनता तक लेकर जाने के लिए नौभास द्वारा चलाया गया अभियान।
भगतसिंह के विचारों को हर नौजवान और हर मेहनतकश के दिलोदिमाग तक पहुँचाने के लिए जारी मुहिम के तहत नौजवान भारत सभा, लखनऊ की टोली ने कल 8 अप्रैल 2016 को बाराबंकी और गोंडा में रेलवे स्टेशन, बस अड्डे और अन्य स्थानों पर सभाएँ कीं और पर्चे बाँटे। सभाओं और पर्चों में इस बात पर ज़ाेर दिया गया कि भगतसिंह ने कहा था कि हम गोरे अंग्रेज़ों की जगह काले अंग्रेज़ों की हुकूमत नहीं चाहते, हम सिर्फ़ विदेशी गुलामी से नहीं बल्कि पूँजीवाद से भी मुक्ति चाहते हैं और मेहनतकशों का राज चाहते हैं। उन्होंने साफ़ कर दिया था कि कांग्रेस की अगुवाई में यदि आज़ादी मिली तो देश में पूँजीपतियों का शासन कायम होगा और जनता की मुक्ति का सपना पूरा नहीं होगा। भगतसिंह ने आम जनता को धार्मिक आधार पर लड़ाने की साज़िशों से बचाने के लिए उसकी वर्ग-चेतना जागृत करने पर बल दिया था और जनता की वास्तविक मुक्ति के लिए जातिगत भेदभाव के समूल नाश को ज़रूरी बताया था। फाँसी की कोठरी से भेजे गये क़ौम के नाम अपने आखि़री सन्देश में भगतसिंह ने देश के नौजवानों का आह्नान किया था कि तुरत अपने बूते पर हथियारबन्द लड़ाई छेड़ने के बजाय उन्हें गाँवों-शहरों के मेहनतकशों के घर-घर तक क्रान्ति का सन्देश पहुँचाना होगा और उनके क्रान्तिकारी जनसंगठन बनाने होंगे। उन्होंने मेहनतकशों का आह्नान किया था कि उन्हें इंक़लाब का नेतृत्व करने वाला अगुआ दस्ता संगठित करना होगा। उन्होंने साफ़ कहा था कि देश की आज़ादी के बाद भी क्रान्ति तबतक जारी रहेगी जबतक देशी पूँजीपति लुटेरों से भी मुक्ति नहीं मिल जाती। इस मकसद को चन्द बहादुर लोग हथियार उठाकर नहीं हासिल कर सकते बल्कि इसके लिए फै़क्टरियों और खेतों में खटने वाले करोड़ों मेहनतकशों तक क्रान्ति का सन्देश पहुँचाना होगा और उन्हें संगठित करना होगा।
नवजवानों को बधाई इंकलाब जिंदाबाद