भगवा फासीवादि‍यों का झूठी अफवाहें फैलाकर अल्पसंख्यकों पर सुनि‍योजि‍त हमला।

भगवा फासीवादि‍यों का झूठी अफवाहें फैलाकर अल्पसंख्यकों पर सुनि‍योजि‍त हमला।
भगवा गि‍रोहों की जनता को बांटने की मुहि‍म को नाकाम करो।
मेहनतकश साथियो! इंसानियत के इन दुश्मनों को पहचानो!
प्रतीकात्‍मक चित्र
प्रतीकात्‍मक चित्र

देश में लोकसभा चुनावी दंगल चल रहा है। यह साफ़ दिख रहा है कि सभी चुनावी पार्टियाँ साम्प्रदायिक जहरीले भाषण दे रही हैं ताकि शिक्षा, चिकित्सा, रोजगार के मुद्दों से ध्यान हटाकर चुनाव में धार्मिक बँटवारा करके वोटबैंक हासिल किया जा सके। इसी क्रम में 23 अप्रैल,2014 को सोनिया विहार (दिल्‍ली-गाजियाबाद सीमा) में गाय काटने की झूठी अफ़वाह के बाद भगवा गिरोह ने मुस्लिम आबादी की दुकानों व वाहनों में आग लगा दी और उनसे बदसलूकी की। इस घटना में कोई हताहत तो नहीं हुआ लेकिन आगजनी से लाखों का नुकसान हो गया। इस घटना के बाद दिल्ली व उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपनी जाँच में पाया कि जिस बात की आड़ लेकर इन दंगाईयों ने यह आगजनी की। उसमें नाममात्र की भी सच्चाई नहीं थी। कई लोगों से बातचीत करने पर यह बात सामने आई की यहाँ से कुछ किलोमीटर दूर यू.पी. के न्यू आनंदविहार इलाके में तीन-चार दिन पहले हुए एक मामूली झगड़े की घटना के बाद – झूठी बात के सहारे एक समुदाय के विरोध में अफवाह फैलाकर इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया गया। दोस्तों पिछले साले हुए मुजफ्फरनगर के दंगों की रिपोर्टों में भी यह बात सामने आयी थी कि साम्प्रदायिक ताक़तों ने नकली वीडियो दिखाकर और अफवाहें फैलाकर साम्प्रदायिक दंगों की शुरुआत की थी। आज सभी चुनावबाज़ पार्टियों के पास ‘बाँटो और राज करो’ के अलावा चुनाव जीतने का और कोई हथकण्डा नहीं बचा है। ऐसे में हम मेहनतकश साथियों और आम नागरिकों से पूछते हैं कि तमाम साम्प्रदायिक फासीवादियों के भड़काऊ बयानों से अपने ख़ून में उबाल लाने से पहले ख़ुद से पूछियेः क्या ऐसे किसी दंगों में अफ़वाह फैलाने वाले इन धर्म के ठेकेदारों का कोई नुकसान होता हैा नहीं साथियों! क्या कभी तोगडि़या, ओवैसी, आज़म खाँ, राज ठाकरे,अमित शाह जैसे लोग मरते हैं? नहीं साथियों! इसमें हम मरते हैं, हमारे लोगों की बेनाम लाशें सड़कों पर पड़ी धू-धू जलती हैं। सारे के सारे धार्मिक कट्टरपन्थी तो भड़काऊ बयान देकर अपनी जे़ड श्रेणी की सुरक्षा, पुलिसवालों और गाडि़यों के रेले के साथ अपने महलों में वापस लौट जाते हैं। और हम उनके झाँसे में आकर अपने ही वर्ग भाइयों से लड़ते हैं। साथियों ऐसे अन्धकार दौर में शहीदों के विचार हमें रास्ता बता रहे हैं कि नौजवानों को धार्मिक कट्टरपन्थी ताकतों का मुकाबला कैसे करना होगा। शहीदे आज़म भगतसिंह ने कहा था कि “लोगों को परस्पर लड़ने से रोकने के लिए वर्ग-चेतना की जरूरत है। गरीब मेहनतकश व किसानों को स्पष्ट समझा देना चाहिए कि तुम्हारे असली दुश्मन पूँजीपति हैं, इसलिए तुम्हें इनके हथकण्डों से बचकर रहना चाहिए और इनके हत्थे चढ़ कुछ न करना चाहिए। संसार के ग़रीबों के चाहे वे किसी भी जाति, रंग, धर्म या राष्ट्र के हो उनके अधि‍कार एक ही हैं। तुम्हारी भलाई इसी में है कि तुम रंग, धर्म व राष्ट्र के भेद भुलाकर एक हो जाओ और सरकार की ताक़त अपने हाथ में लेने का यत्न करो। साथियो! हमें बँटवारे की इस साजि़श के खि़लाफ़ अभी से आवाज़ बुलन्द करनी होगी क्योंकि सिर्फ आम मेहनतकश जनता की फौलादी एकजुटता ही इन कट्टरपंथी ताक़तों के मंसूबों को चकनाचूर कर सकती है। 

जाति-धर्म के झगड़े छोड़ो! सही लड़ाई से नाता जोड़ो !! 

  • नौजवान भारत सभा
  • दिशा छात्र संगठन

खबर का लिंक – http://timesofindia.indiatimes.com/City/Noida/News-of-animal-slaughter-incites-tension-in-Loni/articleshow/34126067.cms

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