पर्चा – हत्यारी वेदान्ता! हत्यारा विकास!! तूतीकोरिन की घटना हमारे मानवीय अस्तित्व को चुनौती है!

नौजवान भारत सभा और दिशा छात्र संगठन की ओर से तूतीकोरिन (तमिलनाडु) की घटना पर निकाला गया पर्चा
हत्यारी वेदान्ता! हत्यारा विकास!!
तूतीकोरिन की घटना हमारे मानवीय अस्तित्व को चुनौती है!

तमिलनाडु के तूतीकोरिन में वेदान्ता ग्रुप कम्पनी स्टरलाइट कॉपर के ख़िलाफ़ हुए प्रदर्शन में कत्लेआम का पुलिसिया ताण्डव मौजूदा व्यवस्था के नरभक्षी व फासीवादी चरित्र को उजागर करने वाली घटना है। यह घटना हमें दिखाती है कि ये तथाकथित विकास का ढोंग वास्तव में मनुष्यों की लाशों व प्रकृति की बर्बादी पर निजी मुनाफे की हवस पूरी करने के लिए रचा जा रहा है। पूँजीवादी दानव मुनाफे की हवस में इतना पागल हो चुका है कि मेहनतकश का जीवन और पूरी पृथ्वी निगल जाने पर आमादा है।

इस तरह की तमाम घटनायें दिखाती हैं कि पूँजीवादी लोकतन्त्र में सरकारी मशीनरी पूँजीपतियों से अपने को जितना अलग दिखाने का ढोंग कर लेती थी, अब उसके लिए उतना भी सम्भव नहीं। सरकार, सरकारी मशीनरी, कोर्ट, मीडिया सब बड़ी बेशर्मी से पूँजीपतियों के पक्ष में खड़ी हैं। वास्तव में देखा जाय तो पूरी दुनिया में पूँजीवादी लूट से पैदा हुआ आर्थिक संकट पूरी दुनिया को अपने जबड़े में जकड़ चुका है। इससे निकल पाने का उसके पास कोई रास्ता नहीं। अपने मुनाफे की दर बरकरार रखने के लिए वह मनुष्य व प्रकृति की हिफाजत के लिए बने अतिसीमित कानूनों तक को मानने के लिए तैयार नहीं है। मुट्ठी भर पूँजीपतियों को फायदा पहुँचाने के लिए सरकार जहाँ एक तरफ ऐसे कानूनों को ‘श्रम सुधार’ की भ्रामक शब्दावली की आड़ में ख़त्म करती जा रही है वहीं अपना दमनतन्त्र पहले से ही तैयार करके बैठी है। पूँजीपतियों और सत्ताधारियों की मिलीभगत इतनी तगड़ी है कि एक बार विरोध होने के कारण बन्द होने के बाद कांग्रेस व भाजपा को पैसा खिलाकर वेदान्ता कम्पनी ने इसे फिर शुरू करा लिया। तथाकथित वामपन्थियों को कम से कम से इस घटना के बाद बीजेपी विरोध के नाम पर कांग्रेस की पूँछ में कंघी करना या मानवविरोधी विकास के फासीवादी रथ को रोकने के लिए लालू-मुलायम में सम्भावना तलाशना बन्द कर देना चाहिए। वास्तव उदारीकरण-निजीकरण की नीतियों पर इनकी आम सहमति है। 

वेदान्ता ग्रुप के स्टरलाइट प्लांट के खिलाफ़ विरोध की वजह इस प्लांट से सल्फर डाइऑक्साइड के रिसाव से होने वाली भयंकर स्वास्थ्य समस्यायें थीं। इसके खि़लाफ़ 2013 से विरोध हो रहा है। इस कम्पनी के खि़लाफ़ हवा, पानी, आसपास के वातावरण को प्रदूषित करने के खि़लाफ़ जाम्बिया के 2000 गाँवों ने मुकदमा किया है। वेदान्ता ग्रुप लन्दन स्थित बहुराष्ट्रीय कम्पनी है। जो प्रकृति को प्रदूषित करने के लिए कुख्यात है। भाजपाइयों व संघियों को अब भारत माता की याद नहीं आयेगी। क्योंकि मुँह में वेदान्ता का पैसा ठुंसा है। वास्तव में पूँजीवादी लुटेरे अपने लाभ को बढ़ाने के लिए किसी भी हद तक जा सकते हैं। कम्पटीशन में बने रहने के लिए, अपनी लागत कम करके मुनाफा पीटने की हवस में जहाँ एक ओर मज़दूरों को श्रम निचोड़ते हैं वहीं दूसरी ओर सारे कानूनों की धज्जियाँ उड़ाकर कचरा, गैस आदि को खुलेआम नदियों, रिवर्स बोरिंग के जरिये धरती के अन्दर, आसमान में छोड़ देते हैं। यही वजह है कि धीरे-धीरे हमारी नदियाँ, पानी के स्रोत, जंगल, जीव-जन्तु, खेती-बाड़ी, हवा सब भयानक प्रदूषण के शिकार हो चुके हैं। कैंसर, टीवी, दमा जैसी बहुत सी बीमारियाँ महामारी की तरह फैल रही हैं। पूरी प्रकृति को तबाह करने का अपराध सबसे भयानक अपराध है और इस अपराध में पूरी दुनिया के पूँजीपति, चुनावी पार्टियाँ, पूरी पूँजीवादी मशीनरी शामिल है। 

भारत के व्हाट्सएप्प, फेसबुक से ज्ञान पाने वाला मध्यवर्ग का एक हिस्सा मोदी के “विकास” का कोरस गा रहा है। जबकि इस विकास की सारी मलाई पूँजीपति, नेता, ठेकेदार, अफसर खांयेंगे और उसको जूठन भी नहीं मिलने वाली है। इन फासिस्टों का ‘विकास’ ऐसा है जिसमें बेरोज़गारी बढ़ती है, जिसमें मेहनतकश बिना सुरक्षा उपकरणों के आये दिन मरते रहते हैं, जिसमें मेहनतकश को अपना पेट भरने के लिए 12 से 14 घण्टे जानवरों की तरह खटना पड़ता है, जिसमें हमारे घर यानि धरती को तबाह किया जाता है, जिसमें मँहगाई, भुखमरी बढ़ती है, जिसमें शिक्षा, चिकित्सा जैसी सुविधाओं को भी बिकाऊ माल बना दिया जाता है, जिसमें कर्मचारियों को मिलने वाली सुविधायें छीन ली जाती हैं, जिसमें ऊपर के 10 प्रतिशत लोग 80 प्रतिशत सम्पदा पर काबिज हो जाते हैं, जिसमें ‘‘लोकतन्त्र’’ का शोर मचाया जाता है लेकिन हक के लिए बोलने पर लोगों के मुँह में रायफल डाल के गोली दाग दी जाती है [गौर तलब है की तूतीकोरिन में पुलिस ने हैवानियत दिखाते हुए एक लड़की के मुँह में रायफल डालकर गोली मारी, इन हत्याओं को अंज़ाम देने के लिए स्नाइपर्स (निशानेबाजों) तक का इस्तेमाल किया गया]। 

साथियो! ये विकास नहीं पूँजीपतियों द्वारा धरती पर मानवजीवन का विनाश है। ये लुटेरों के वर्ग द्वारा अतीत में किये गये अपराधों में सबसे भयानक ऐतिहासिक अपराध है। अगर हम इस पूँजीवादी व्यवस्था को इतिहास के कब्र में दफनाने के लिए मैदान में नहीं उतर पड़ते तो हम भी इस अपराध में भागीदार होंगे।

नौजवान भारत सभा
दिशा छात्र संगठन

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One Thought to “पर्चा – हत्यारी वेदान्ता! हत्यारा विकास!! तूतीकोरिन की घटना हमारे मानवीय अस्तित्व को चुनौती है!”

  1. Shubham Raj Singh

    Sarfaroshi Ki Tamanna An hamare dil mein hai

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