दुनिया के सबसे बड़े आतंकियों अमेरिका व इजरायल ने की बर्बरता की हदें पार
एक ही दिन में गाजा के 60 से ज्यादा नागरिकों की हत्या
गाजा में बेगुनाहों के कत्लेआम का विरोध करो
साथियो,
हमारा देश 1947 में स्वतंत्र हुआ था और उसके लिए देश के अनगिनत शहीदों ने अपनी जान दी थी। ब्रिटेन की गुलामी से आजादी तक के सफर पर पहुँचे देश के नागरिक के तौर पर हम आजादी की कीमत जानते हैं। लेकिन दोस्तो एक देश ऐसा भी है जिसकी गुलामी की शुरूआत हमारी आजादी के 10 महीने बाद शुरू हुई थी और उस देश का नाम है फिलिस्तीन। 14 मई 1948 के दिन फिलिस्तीन के टुकड़े कर एक देश इजरायल बनाया गया और बाद में कई युद्ध करके इजरायल ने फिलिस्तीन की अधिकांश जमीन छीन ली। फिलिस्तीन की जनता की आजादी की आकांक्षा व संघर्ष का दुनिया का हर इंसाफपसन्द व्यक्ति समर्थन करता है पर बर्बरों को बर्बरों का समर्थन मिल ही जाता है और इस मामले में इजरायल के जितना ही बर्बर है अमेरिका। दुनियाभर में कई देशों को बर्बाद करने वाले अमेरिका ने कुछ महीनों पहले घोषणा की थी कि वो अपना दूतावास 14 मई 2018 के दिन यरुशलम शिफ्ट करेगा। यरुशलम एक ऐसी जगह हैं जिस पर फिलिस्तीन और इजरायल दोनों का दावा है और विवादित जगह के कारण यरुशलम को इजरायल की राजधानी के तौर पर कोई देश मान्यता नहीं देता। पर अमेरिका ने ना सिर्फ मान्यता दी बल्कि कल यानि 14 मई 2018 के दिन अपना दूतावास वहां शिफ्ट भी कर दिया।
इसके खिलाफ फिलिस्तीन के लोग विरोध करने सड़कों पर उतरे तो फिलिस्तीन के एक हिस्से गाज़ा पट्टी की सीमा पर कल इजरायली सैनिकों ने 60 से ज्यादा मासूम नागरिकों की गोली मारकर हत्या कर दी। सारी दुनिया के साम्राज्यवादी चुपचाप इस जनसंहार को देख रहे हैं। साम्राज्यवादी मीडिया इज़रायल के इस नंगे झूठ का भोंपू बना हुआ है कि उसने यह हमला फिलिस्तीनियों को सीमा में घुसने से रोकने के लिए किया है।
इजरायल लगातार फिलिस्तीन की जमीन पर कब्जा कर रहा है। 1947 से लेकर आज तक इज़रायली ही हमलावर रहे हैं और उन्होंने फिलिस्तीन के लगभग 70 प्रतिशत भाग पर कब्ज़ा कर रखा है और मासूम लोगों का खून बहा रहे हैं। जब उनकी फौज मासूमों का कत्लेआम करती है तो वहां के नागरिक पहाड़ों की चोटी पर बैठकर उस पर जश्न मनाते हैं।
दुनियाभर के अलग-अलग देशों में आज ऐसे लोग सत्ता में पहुँच रहे हैं जो दक्षिणपंथी विचारधारा के हैं या फासीवादी हैं। ऐसे सभी लोग अब इजरायल को घोषित-अघोषित समर्थन दे रहे हैं। हमारे देश में सत्तासीन भाजपा भी उसी विचारधारा से है और यही कारण है कि मोदी के सत्ता में आने के बाद से इजरायल के साथ उनका याराना बढ़ रहा है, वहां से हथियारों के बड़े-बड़े जखीरे खरीदे जा रहे हैं । आतंकवाद के नाम पर दिनों-रात युद्धोन्माद और अन्धराष्ट्रवादी भावनाएँ भड़काने में लगे इलेक्ट्रॉनिक मीडिया को इज़रायल का यह सरकारी आतंकवाद नज़र नहीं आ रहा है। मोदी सरकार चुप है! संसद चुप है! संयुक्त राष्ट्रसंघ सो रहा है!
लेकिन अगर आप एक संवेदनशील इंसान हैं तो गाज़ा के मृत लोगों के चेहरे आपकी आँखों के सामने नाचते रहेंगे। गोलीबारी में घायल लोगों की चीखें आपके आसपास मँडराती रहेगी। भूलिये नहीं, अगर हम इस बर्बरता के खिलाफ़ आज ख़ामोश रहते हैं तो आने वाले वक़्त में अपने आसपास होने वाली बर्बरताओं पर भी हम कुछ नहीं बोल पायेंगे! इसलिये मानवता के विरूद्ध इजरायल के इन अपराधों के खि़लाफ़ आवाज उठाइये, हर तरह के इजरायली उत्पाद (भौतिक व कलात्मक) का बहिष्कार कीजिये, इजरायल के खि़लाफ जारी प्रदर्शनों में हिस्सा लीजिये!
हमारी विशेष अपील है कि इजरायल को समर्थन देने वाली कम्पनियों के उत्पाद खरीदना आज से ही बन्द कर दें ताकि हमारी खून-पसीने की कमाई हत्याओं के लिए इस्तेमाल ना हो। इन कम्पनियों की लिस्ट आप हम से मंगवा सकते हैं। अगर आप इण्टरनेट का इस्तेमाल जानते हैं तो ऑनलाइन जाकर कम्पनियों की लिस्ट देख सकते हैं।
फिलिस्तीन की जनता का संघर्ष जिन्दाबाद!
आतंकी अमेरिका व इजरायल मुर्दाबाद
नौजवान भारत सभा दिशा विद्यार्थी संघटना बिगुल मजदूर दस्ता फिलिस्तीन के साथ एकजुट भारतीन जन (IPSP)
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Tit for tait
World community must condemn Israel and USA who are involved in crimes against humanity. UNO is dead..
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