पूरे देश में बच्चियों की आर्तनाद नहीं, बल्कि धधकती हुई पुकार सुनो!

दिशा छात्र संगठन, स्त्री मुक्ति लीग और नौजवान भारत सभा द्वारा मुजफ़्फरपुर, देवरिया, प्रतापगढ़, भोपाल समेत देश भर में महिलाओं-बच्चियों के साथ बर्बर अपराध की घटनाओं पर निकाला गया पर्चा
मुजफ़्फ़रपुर, देवरिया से लेकर पूरे देश में बच्चियों की आर्तनाद नहीं, बल्कि धधकती हुई पुकार सुनो!
अब और चुप रहेंगे तो पूँजी और सत्ता के मद में चूर बलात्कारी हमारे घरों से हमारी बच्चियाँ ले जायेंगे!!

साथियो! मुजफ़्फरपुर, देवरिया, प्रतापगढ़ से लेकर पूरे देश में पूँजीवादी पितृसत्ता का कोढ़ फूटकर बह रहा है। भोपाल में अभी इसी तरह मूक व बधिर बच्चियों के साथ ऐसी ही अमानवीय बर्बरता हुई। पूँजी और सत्ता के मद में चूर बर्बर बलात्कारी किसी पौराणिक कथा के राक्षसों से भी ज़्यादा बर्बर कृत्यों को अंजाम दे रहे हैं और अट्टहास कर रहे हैं। बलात्कारियों को प्लेन में बैठाया जा रहा है, उनके समर्थन में पैसे के बल पर व धर्म के नाम पर प्रदर्शन करवाया जा रहा है, बात-बात पर मन की बात करने वाले और सामाजिक न्याय के मसीहों के मुँह सिले हुए हैं। काल्पनिक चरित्रों पर फिल्मों में ‘‘हिन्दू स्त्री’’ के अपमान के नाम पर देश भर बलवा करने वाले बिलों में घुस के बैठे हैं। जबकि देश के न जाने कितने शेल्टरों में धनपशुओं के बलात्कारी जकड़न में बच्चियाँ चिल्ला रही होंगी, उनके शरीर का सौदा हो रहा होगा और तमाम बच्चियाँ बन्द दरवाज़ों पर अपने मुक्के मार रही होंगी और लोहे केी खिड़कियों के ग्रिलों से अपनी मुक्ति की राह देख रही होंगी।

गिरफ्तार होने के बाद कुत्सित हंसी हंसता बलात्‍कारी ब्रजेश ठाकुर

साथियो! ये घटनायें मानवद्रोही, सड़ांध मारती व्यवस्था की प्रातिनिधिक घटना है। इस घटना को सामान्य घटना की तरह की लेना अक्षम्य भूल होगी। ‘लूट व झूठ’ पर टिकी मीडिया इस पूरी घटना को व्यक्ति केन्द्रित, कुछ ‘वहशियों’, प्रशानिक लापरवाही में समेट रही है ताकि इस व्यवस्था को कटघरे में खड़ा किया जाने से बचाया जा सके। साथियो! ज़रा सोचिये एक छोटी सी मार्केट में कोई नया ठेला लगा ले तो पुलिस को पता चल जाता है, वो पैसा बाँधने पहुँच जाते हैं। लेकिन सालों-साल बच्चियों का उत्पीड़न होता रहा और उनके शरीर का सौदा होता रहा वो अनजान कैसे बने रह सकते हैं? मीडिया जो कि योगी के सांस गिन सकती है उसे इन बच्चियों की चीख़ें कैसे सुनाई नहीं दीं? नेता-मन्त्री जो किसी के बाथरूम तक में झांक सकते हैं उन्हें ये कैसे दिखाई नहीं पड़ा? आइये देखते हैं कि तथ्य क्या कहते हैं?

‘टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंस’ के बालिका गृह को लेकर रिपोर्ट सौंपने के बावजूद समाज कल्याण विभाग एक महीने तक हरकत में नहीं आया? एफआईआर दर्ज की गयी लेकिन 1 महीने बाद! बालिका गृह में 44 में से 34 लड़कियों के बलात्कार की पुष्टि हुई, यह कैसे संभव है कि वहां हर महीने जांच के लिए जाने वाले एडिशनल जिला जज के दौरे के बाद भी मामला सामने नहीं आया? बालिका गृह के रजिस्टर में दर्ज है कि न्यायिक अधिकारी भी आते थे और समाज कल्याण विभाग के अधिकारी के लिए भी सप्ताह में एक दिन आना अनिवार्य था। मामले के मुख्य आरोपी ब्रजेश ठाकुर को 12 एनजीओ चलाने की इजाजत उच्च स्तर की मिलीभगत के बगैर क्या संभव है?

समाज कल्याण विभाग की मन्त्री व जदयू की नेता मंजू वर्मा के पति का भी नाम आ रहा है! बिहार सरकार के तमाम नेता और अधिकारी ब्रजेश ठाकुर के करीबियों में शुमार थे। ‘‘सुशासन बाबू’’ नीतीश कुमार और ‘‘बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ’’ का कोरस गाने वाली भाजपा ने जनता के दबाव के कारण बड़ी मुश्किल से मुँह खोले।

टी.आई.एस.एस के अनुसार ऐसे 15 बालिका गृह हैं जिसमे यौन शोषण के शिकार होने की आशंका जताई गयी है! खुद ब्रजेश ठाकुर के 5 ऐसे शेल्टर होम चलते हैं! इसके अलावा छपरा महिला गृह में विक्षिप्त महिलाओं के साथ बलात्कार का शर्मनाक मामला सामने आया है। इस रिपोर्ट के पुष्ट होने में ज़रा भी वक़्त नहीं लगा। तब तक देवरिया में ‘मां विन्ध्यवासिनी’ नामक महिला प्रशिक्षण एवं सामाजिक सेवा संस्थान में बच्चियों से यौन उत्पीड़न का मामला तब सामने आया जब 10 साल की बच्ची शेल्टर होम से भाग कर महिला थाना में रपट लिखवाई! यहाँ पर कुल 42 बच्चियां थी जिनमे से अभी भी 18 लापता हैं! यहाँ भी वही कहानी है। पहले 23 जून 2017 को ही संस्था की संचालिका पर केस दर्ज कराने का आदेश दिया गया था। लेकिन इसमें 1 साल लग गया। फिर जिला प्रोबेशन अधिकारी ने 31 जुलाई को ही केस दर्ज करने का आदेश दिया। लेकिन दर्ज होने के बाद खुलासे में 5 दिन लग गये। यही नहीं संस्था की मान्यता रद्द होने के एक साल बाद भी संस्था चलती रही। प्रतापगढ़ में ‘जागृति महिला स्वाधार आश्रय’ में 26 महिलायें गायब मिलीं। इसकी संचालिका रमा मिश्रा भाजपा महिला मोर्चा की जिलाध्यक्ष और सभासद रह चुकी हैं। भोपाल में मूक-बधिर लड़कियों से बलात्कार का मामला सामने आया। इस मामले में भी आरोपी अश्विनी शर्मा का भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चैहान से नज़दीकी सम्बन्ध बताया जा रहा है।

वास्तव में बच्चियों-लड़कियों के इस बर्बर उत्पीड़न को हम तब तक नहीं समझ सकते जब तक हम पूँजी-सत्ता-पितृसत्ता के गँठजोड़ को नहीं समझ लेते। मौजूदा व्यवस्था में मुट्ठी भर पूँजीपतियों का सारी चीज़ों पर नियन्त्रण है। भारत जैसे देशों में जहाँ एक ओर स्त्रियों को पैर की जूती समझने, ‘भोग्या’ समझने की पुरानी मान्यता कायम है वहीं पूँजीवादी व्यवस्था के कायम होने के बाद आधुनिकता के नाम पर तर्क की जगह नयी विकृतियाँ भयंकर सड़ाँध पैदा कर रही है। एक तरफ स्त्रियों को अपने पोशाक, पेशा और जीवन साथी चुनने जैसे मामलों में आज़ादी नहीं है; वहीं दूसरी ओर मुनाफे के मद्देनज़र उनको विज्ञापनों, फिल्मों, पोर्न साइटों, घटिया गानों आदि के द्वारा बाज़ार के लिए बाज़ार में ‘उपभोग की वस्तु’ के रूप में उतार दिया है। मौजूदा व्यवस्था में आर्थिक संकट लगातार अपराध, बेरोज़गारी बढ़ा रहा है। नारी संरक्षण गृह, वेश्यावृत्ति के तमाम अड्डे इस व्यवस्था की देन है। फिर इन जगहों पर मौजूद लड़कियों के शरीर को मुनाफा कमाने में इस्तेमाल किया जाता है। खुद महिला एवं बाल विकास मंत्री राजेन्द्र कुमार का बयान है कि तीन साल में 1 लाख बच्चों का यौन शोषण हुआ है। हर 24 घण्टे में 27 बच्चे लापता हुए हैं। 2015-16 में इसमें 4.4 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है। धनिकों, नेताओं, अफसरों की हवस पूरी करने के लिए इन जगहों से लड़कियों की सप्लाई होती है। पोर्न फिल्मों, बाल वेश्यावृत्ति का धन्धा अरबों का है। ये धन्धा बिना सरकार व प्रशासन को साथ लिए हो ही नहीं सकता है।
दूसरे, जैसे-2 पूँजी का संकट बढ़ता जा रहा है वैसे-वैसे राजनीति का अपराधीकरण बढ़ता जा रहा है। जनता के वास्तविक मुद्दों को उठाने व उसका समाधान करने में वर्तमान पूँजीवादी राजनीति अक्षम हो चुकी है। दंगाईयों, अपराधियों को टिकट दिया जाता है। बलात्कार के आरोपी संसद-विधानसभाओं में बैठे हैं। इनसे क्या स्त्रियों के बारे में किसी तरह की संवेदनशीलता की उम्मीद की जा सकती है? अभी हाल ही में मोदी सरकार के रेल राज्य मंत्री गोंहाई के ख़िलाफ़ बलात्कार का मुकदमा दर्ज हुआ है। 48 सांसद-विधायक ऐसे हैं जिन पर महिलाओं के ख़िलाफ़ अपराध के केस दर्ज़ हैं। जिसमें भाजपा सबसे आगे है। क्या इनको किसी कानून का डर है? कुलदीप सिंह सेंगर जैसे अपराधियों के चेहरे पर ख़ौफ़ का न होना और ब्रजेश ठाकुर जैसे बर्बर बलात्कारियों की हंसी क्या सब कुछ बयान नहीं कर देती। इसी तरह से थानों तक में बलात्कार की घटना आ चुकी है। जहाँ लाखों मामले न्यायालयों के पोथों में दफन हो जाते हों, वहाँ हम केवल व्यवस्था और सरकारों के भरोसे कैसे बैठे रह सकते हैं? नहीं, बिलकुल नहीं! जहाँ ‘भारत माता की जय‘, ‘जय श्रीराम’ जैसे नारों और तिरंगे की आड़ में बलात्कार व हत्या जैसे अपराध को जायज ठहराने की कोशिश की जाती हो वहाँ इस तरह के अपराधों का बढ़ना तय है।

यदि हम सब चुप बैठ गए और इन घटनाओं के आदी बनते गए तो हम ज़िन्दा मुर्दों के अलावा कुछ भी नहीं! हमें संगठित होना होगा क्योंकि हमारे घरों में भी बच्चियाँ हैं और सबसे बड़ी बात ये है कि हम इंसान हैं। हमें हर घटना के खिलाफ़ सड़कों पर उतरना होगा और साथ ही इस पूँजीवादी पितृसत्तात्मक व्यवस्था की कब्र खोदने के लिए एक लम्बे युद्ध का ऐलान करना होगा, जो इन सारे अपराधों की जड़ है। हमें इन बच्चियों की धधकती पुकार सुननी होगी और पूँजी-सत्ता-पितृसत्ता के गँठजोड़ को जनएकजुटता के दम पर ध्वस्त कर देना होगा। अगर आज हम उठ खड़े नहीं होते तो न जाने कितनी ही बच्चियों के साथ होने वाले इस अमानवीय अपराध के गुनाहगार हम भी होंगे! दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा और स्त्री मुक्ति लीग आपको इस संघर्ष में हमसफर बनने के आवाज़ दे रहा है।

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5 Thoughts to “पूरे देश में बच्चियों की आर्तनाद नहीं, बल्कि धधकती हुई पुकार सुनो!”

  1. Prabhakar Tiwari

    Toh Kya Ab Hame Hindustan Socialist Republican Association ko Punarjagrit nahi karna chahiye?

  2. अभिनंदन केशरी

    क्या आप हमें नौजवान भारत सभा के किसी पदाधिकारी का नंबर दे सकते है।

    मेरा नंबर -9170493911 है।

    मैं ग़ाज़ीपुर, उत्तर प्रदेश से हूँ।
    आप का मैं आभारी रहूँगा।

  3. अभिनंदन केशरी

    आप अपना मोबाइल नंबर दे ।

    हम आपके आभारी रहेंगे।

    मोबाइल नंबर- 9170493911

  4. Shubham Raj Singh

    Hume Khule armed revolution karna chahiye Inquilab Zindabad , hume sabhi chhatron ko ek saath sangathit karna chahiye

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