पहले इस गिरोह को चड्ढी गेंग या कच्छा-बनियान गिरोह नाम से जाना जाता था लेकिन विश्वस्त सूत्रों से पता चला है कि अब यह अपना चोला बदलने की फ़िराक में है। हर ख़ासो-आम को आगाह किया जाता है कि नई पैकिंग से धोखा न खायें क्योंकि अन्दर का माल वही है।
Category: फासीवाद
भागो नहीं, दुनिया को बदलो! – राहुल सांकृत्यायन की जन्मतिथि व पुण्यतिथि के अवसर पर अभियान
हम जनता के सच्चे, बहादुर सपूतों का आह्वान करते हैं कि वे राहुल और भगतसिंह के सपनों के भारत के निर्माण के लिए आगे आयें। अब और देर आत्मघाती होगी। या तो पूँजी की सर्वग्रासी गुलामी से मुक्ति या फिर फासीवादी बर्बरता और विनाश- हमारे सामने सिर्फ ये ही दो विकल्प हैं। हम तमाम जिन्दा लोगों का आह्वान करते हैं।
सच्चे देशभक्तों को याद करो! नकली “देशभक्तों” की असलियत को पहचानो!
इस नफ़रत की सोच से अलग हटकर, ठहरकर एक बार सोचिये कि 2 लाख करोड़ रुपये का व्यापम घोटाला करने वाले, घोटाले के 50 गवाहों की हत्याएँ करवाने वाले, विधानसभा में बैठकर पोर्न वीडियो देखने वाले, विजय माल्या और ललित मोदी जैसों को देश से भगाने में मदद करने वाले देशभक्ति और राष्ट्रवाद का ढोंग करके आपकी जेब पर डाका और घर में सेंध तो नहीं लगा रहे? कहीं ये ‘बाँटो और राज करो’ की अंग्रेज़ों की नीति हमारे ऊपर तो नहीं लागू कर रहे ताकि हम अपने असली दुश्मनों को पहचान कर, जाति-धर्म के झगड़े छोड़कर एकजुट न हो जाएँ? सोचिये साथियो, वरना कल बहुत देर हो जायेगी! जो आग ये लगा रहे हैं, उसमें हमारे घर, हमारे लोग भी झुलसेंगे। इसलिए सोचिये!
ATS and police raid for distributing anti-RSS pamphlets
Naujawan Bharat Sabha is commited to carry forward the legacy of the great revolutionaries and therefore,has been continuously waging struggle against the hateful propaganda of the communal groups.Precisely,because of this, the members of this organisation have been getting continuous threats from such groups. A few days back the activists of NBS had distributed some pamphlets (Pamphlet link – http://naubhas.com/archives/445
जेएनयू-विरोधी गोलबन्दी की आरएसएस की साज़िशाना मुहिम
कौन देशभक्त है और कौन देशद्रोही?
अगर हम आज ही हिटलर के अनुयायियों की असलियत नहीं पहचानते और इनके ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाते तो कल बहुत देर हो जायेगी। हर जुबान पर ताला लग जायेगा। देश में महँगाई, बेरोज़गारी और ग़रीबी का जो आलम है, ज़ाहिर है हममें से हर उस इंसान को कल अपने हक़ की आवाज़ उठानी पड़ेगी जो चाँदी का चम्मच लेकर पैदा नहीं हुआ है। ऐसे में हर किसी को ये सरकार और उसके संरक्षण में काम करने वाली गुण्डावाहिनियाँ“देशद्रोही” घोषित कर देंगी! सोचिये दोस्तो और आवाज़ उठाइये, इससे पहले कि बहुत देर हो जाये।
जेएनयू पर फासीवादी हमला नहीं सहेंगे! भगवा ब्रिगेड की साज़िशें नहीं चलेंगी!
दक्षिणपंथी छात्र संगठन के गुण्डों-लम्पटों और साथ ही कुछ ग़ैर-ज़िम्मेदार परिधिगत अराजकतावादियों की हरक़तों के कारण पूरे जेएनयू को ‘राष्ट्रद्रोहियों का गढ़’, ‘देशद्रोहियों का प्रशिक्षण केन्द्र’ आदि घोषित किया जा रहा है। जेएनयू के प्रगतिशील छात्र आन्दोलन को न सिर्फ़ इन भगवा तत्वों को बेनक़ाब करना चाहिए वहीं ऐसे तमाम लम्पट अराजकतावादी तत्वों को भी किनारे करना चाहिए जो कि समूचे छात्र आन्दोलन को उसके एजेण्डे से भटका रहे हैं और साम्प्रदायिक फासीवादियों को यह मौका दे रहे हैं कि वे पूरे देश में इस संस्था को बदनाम कर सकें। हमारी लड़ाई यहाँ से सिर्फ़ शुरू होती है कि हम जेएनयू पर फासीवादियों के मौजूदा हमले को नाकामयाब कर दें। लेकिन इसके बाद देश के आम जनसमुदायों में भी हमें इस हमले की पोल खोलनी होगी। कारण यह कि अगर हम लोगों के बीच नहीं जायेंगे तो भगवा ब्रिगेड जायेगी। और जेएनयू इस शहर और इस समाज का अंग है। हमें समाज में भगवा ताक़तों द्वारा जेएनयू की घेराबन्दी का अवसर नहीं देना चाहिए और शहर भर में, बल्कि देश भर में व्यापक प्रचार अभियान के ज़रिये ‘हिटलर के तम्बू’ में बैठे इन फासीवादियों की साज़िशों को बेनक़ाब करना चाहिए।
नये साल में चुप्पी तोड़ो! परिवर्तन के संघर्ष से नाता जोड़ो!! धार्मिक-जातीय बँटवारे की साज़िशों को नाकाम करो!
आज़ादी और बराबरी के इन मतवालों को आज याद करने का मतलब यही हो सकता है कि हम धर्म और जाति के भेदभाव भूलकर इस देश के लुटेरों के ख़िलाफ़ एकजुट हो जायें और इस ख़ूनी तंत्र को उखाड़ फेंकने की तैयारियों में जुट जायें। अशपफ़ाक-बिस्मिल-आज़ाद और भगतसिंह की विरासत को मानने का मतलब आज यही है कि हम हर क़िस्म के मज़हबी कट्टरपंथ पर हल्ला बोल दें। आज हम सभी नौजवानों और आम मेहनतकशों को यह समझ लेना चाहिये कि हमें धर्म और जाति के नाम पर बाँटने और हमारी लाशों पर रोटियाँ सेंकने का काम आज हर चुनावी पार्टी कर रही है! हमें इनका जवाब अपनी फ़ौलादी एकजुटता से देना होगा। परिवर्तनकामी छात्रों-युवाओं को नये सिरे से अपने क्रान्तिकारी संगठन और जुझारू संघर्ष संगठित करने होंगे और उन्हें मेहनतकशों के संघर्षों से जोड़ना होगा। उन्हें शहीदेआज़म भगतसिंह के सन्देश को याद करते हुए क्रान्ति का सन्देश कल-कारखानों और खेतों-खलिहानों तक लेकर जाना होगा। स्त्रियों की आधी आबादी की जागृति और लामबन्दी के बिना कोई भी सामाजिक परिवर्तन सम्भव नहीं। मेहनतकशों, छात्रों-युवाओं, बुद्धिजीवियों सभी मोर्चों पर स्त्रियों की भागीदारी बढ़ाना सफलता की बुनियादी शर्त्त है। हमें हर तरह के जातीय-धार्मिक-लैंगिक उत्पीड़न और दमन के ख़िलाफ़ खड़ा होना होगा इस संघर्ष को व्यापक सामाजिक बदलाव की लड़ाई का एक ज़रूरी हिससा बनाना होगा।
दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की हिन्दुत्ववादी साज़िशें
आम जनता की एकजुटता पर साम्प्रदायिक शक्तियों के इस सुसंगठित-सुनियोजित हमले का मुकाबला करने के लिए हम सभी जनपक्षधर शक्तियों से एकजुट होने, सक्रिय होने, साम्प्रदायिक कट्टरपंथ के विरुद्ध व्यापक एवं सघन प्रचार अभियान चलाने तथा विशेष तौर पर मज़दूरों और युवाओं को तृणमूल स्तर पर संगठित करने का आह्वान करते हैं। हम अपील करते हैं कि सभी जनपक्षधर बुद्धिजीवी, मज़दूर संगठन और छात्र-युवा संगठन मिलकर दिल्ली पुलिस और सरकार पर साम्प्रदायिक गुण्डा गिरोहों के खिलाफ़ सख़्त क़दम उठाने के लिए ज़बर्दस्त जन दबाव बनायें।
भगवा फासीवादियों का झूठी अफवाहें फैलाकर अल्पसंख्यकों पर सुनियोजित हमला।
23 अप्रैल,2014 को सोनिया विहार (दिल्ली-गाजियाबाद सीमा) में गाय काटने की झूठी अफ़वाह के बाद भगवा गिरोह ने मुस्लिम आबादी की दुकानों व वाहनों में आग लगा दी और उनसे बदसलूकी की। इस घटना में कोई हताहत तो नहीं हुआ लेकिन आगजनी से लाखों का नुकसान हो गया। इस घटना के बाद दिल्ली व उत्तर प्रदेश की पुलिस ने अपनी जाँच में पाया कि जिस बात की आड़ लेकर इन दंगाईयों ने यह आगजनी की। उसमें नाममात्र की भी सच्चाई नहीं थी। कई लोगों से बातचीत करने पर यह बात सामने आई की यहाँ से कुछ किलोमीटर दूर यू.पी. के न्यू आनंदविहार इलाके में तीन-चार दिन पहले हुए एक मामूली झगड़े की घटना के बाद – झूठी बात के सहारे एक समुदाय के विरोध में अफवाह फैलाकर इस शर्मनाक घटना को अंजाम दिया गया। दोस्तों पिछले साले हुए मुजफ्फरनगर के दंगों की रिपोर्टों में भी यह बात सामने आयी थी कि साम्प्रदायिक ताक़तों ने नकली वीडियो दिखाकर और अपफवाहें फैलाकर साम्प्रदायिक दंगों की शुरुआत की थी। आज सभी चुनावबाज़ पार्टियों के पास ‘बाँटो और राज करो’ के अलावा चुनाव जीतने का और कोई हथकण्डा नहीं बचा है।