बलात्‍कारियों के समर्थन में प्रदर्शन, न्‍याय की नयी संघी, भाजपाई परिभाषा

देश में बढ़ते महिला विरोधी अपराधों के खिलाफ एकजुट हो!
बलात्‍कारियों के समर्थन में प्रदर्शन, न्‍याय की नयी संघी, भाजपाई परिभाषा
फ़ासीवाद हो बर्बाद! पितृसत्ता हो बर्बाद! संघी गुण्डे मुर्दाबाद!

मार्ग मुक्ति का गढ़ना होगा, जीना है तो लड़ना होगा!!

साथियो! पिछले दिनों बलात्‍कार की दो जघन्‍य घटनाएं सामने आयीं। जम्‍मु‍-कश्‍मीर में आठ साल की बच्‍ची के साथ छह लोगों ने सात दिन तक सामुहिक बलात्‍कार किया व बाद में उसकी हत्‍या कर दी। पुलिस ने भी इस काम में उनका साथ दिया। उन्‍नाव, उत्‍तरप्रदेश में भाजपा विधायक व उसके साथियों ने एक महिला का सामुहिक बलात्‍कार किया व प्रदर्शन करने पर उसके पिता को पीट-पीटकर मार डाला। पीडिता के पिता को मारने में पुलिस भी साथ में थी। इन घटनाओं को सुनकर कोई भी इंसाफपसन्‍द और मानवतावादी व्‍यक्ति दहल जायेगा और इनके लिए इंसाफ मांगेगा लेकिन आज देश में कुछ लोग ऐसे पैदा हो गये हैं जो इनके बलात्‍कारियों के समर्थन में रैलियां कर रहे हैं। इसके अलावा पूर्व केन्‍द्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानन्द के ख़िलाफ़ योगी सरकार 2011 में दर्ज़ बलात्कार मामले को वापिस लेने जा रही है। इन सभी घटनाओं से साफ़ हो जाता है कि ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओं’, ‘बहुत हुआ नारी पर वार, अब की बार मोदी सरकार’ जैसे नारे देने वाली मोदी सरकार के “अच्‍छे दिन वाले राज” में औरतों के लिए कोई जगह नहीं है। भाजपा व आरएसएस के महिला विरोधी चरित्र को दिखाने के लिए एक ही तथ्‍य पर्याप्‍त है और वो ये कि इन दोनों घटनाओं में वो बेशर्मी से बलात्‍कारी के लिए प्रदर्शन कर रहे हैं। शायद भारत के इतिहास में ये पहली घटना होगी जब कोई संगठन बलात्‍कारी को सजा दिलाने के लिए नहीं बल्कि बचाने के लिए प्रदर्शन कर रहा है।
हो सकता है आपने अखबारों में पढ़ा हो कि जम्‍मु में कठुआ जिले की आसिफा को अगवा कर एक देवस्थान में बंदी बनाया गया व वहाँ उसके साथ लगातार बलात्कार किया गया। बलात्कार करने वालों में से उस मंदिर के पुजारी के साथ-साथ पुलिसवाले भी शामिल हुए। उस नन्ही मासूम बच्ची के साथ जो भी बीता उसके बाद कोई भी न्यायप्रिय व्यक्ति इस घिनौने अपराध को अंजाम देने वाले जानवरों को कड़ी से कड़ी सज़ा देने की ही माँग करेगा। लेकिन हद तो तब हो जाती है जब हिन्दू एकता मंच के बैनर तले बलात्कारियों के ख़िलाफ़ चार्जशीट दर्ज़ होने से रोकने और बलात्कारियों के समर्थन में एक प्रदर्शन आयोजित किया जाता है। प्रदर्शन में बड़ी बेशर्मी के साथ बलात्कारियों के समर्थन में “जय श्री राम” के नारे लगाये जाते हैं। इन नारे लगाने वालों में संघी गुंडों, वकीलों के साथ-साथ स्त्रियों के सम्मान की रक्षा करने का दम्भ भरने वाली मोदी सरकार के राज्य वन मंत्री चौधरी लाल सिंह और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री चन्दर प्रकाश गंगा भी शामिल होते हैं। कठुआ बलात्कार काण्ड के दोषियों को सजा दिलाना तो दूर मोदी सरकार के नुमाइंदे इन्हीं के समर्थन में तिरंगा लिए सड़कों पर उन्माद मचा रहे हैं।
जम्मू में जो कुछ हो रहा है उससे उत्तर प्रदेश के उन्नाव के हालात कुछ अलग नहीं हैं। 18 वर्षीय एक युवती भाजपा के एमएलए कुलदीप सिंह सेंगर और उसके भाई द्वारा बलात्कार किये जाने के बाद इन्साफ़ के लिए दर-दर भटक रही है। हर जगह गुहार लगाने के बाद भी इन्साफ़ न मिलने से तंग आकर वह लड़की उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के घर पर आत्मदाह करने की कोशिश करती है। लेकिन इसके बाद भी सरकार हरकत में नहीं आती और बलात्कारी एमएलए या उसके भाई के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं करती। उल्टा बलात्कार पीड़िता के पिता को पुलिस न्यायिक हिरासत में ले लेती है। और अपनी बेटी के लिए न्याय माँग रहे उस बाप को इस निर्ममता से पीटती है कि उसकी मृत्यु हो जाती है। उन्नाव बलात्कार पीड़िता के पिता की हत्या की जिम्मेदार भी यही मोदी-योगी की सरकार है। मरने से पहले पीड़िता के पिता का एक बयान तमाम सोशल मीडिया पर देखा जा सकता है जहाँ वे साफ़ बता रहे हैं कि सेंगर के भाई और पुलिस वालों ने उन्हें किस निर्ममता से पीटा। लेकिन इन्साफ़ नदारद है। इस हत्या और बलात्कार के बीत जाने के इतने समय बाद 12 अप्रैल को अपनी साख़ बचाने के लिए कुलदीप सिंह के ख़िलाफ़ मात्र एफआईआर दर्ज की जाती है, गिरफ़्तारी नहीं की जाती। और इस सब के बीच पीड़िता का कोई अता-पता नहीं है।
दोस्‍तो, पिछले कुछ समय से भाजपा एक ऐसी पार्टी के रूप में उभरी है जिसमें सभी पार्टियों के गुण्डे, मवाली, हत्यारे और बलात्कारी आकर शरण प्राप्त कर रहे हैं। इस देश के प्रधान सेवक उर्फ़ चौकीदार ने हाल ही में सीना फुलाते हुए कहा था कि कमल का फूल पूरे देश में फैल रहा है, लेकिन वे यह बताना भूल गये कि दरअसल यह फूल औरतों, दलितों, अल्पसंख्यकों और मजदूरों के खून से सींचा जा रहा है। एक तरफ भयंकर बेरोजगारी और दूसरी तरफ ऐसी घटनाएँ दिखाती हैं कि पूरे देश में फासीवाद का अँधेरा गहराता जा रहा है। गो-रक्षा, लव-जिहाद, ‘भारत माता की जय’, राम मंदिर की फ़ासीवादी राजनीति सिर्फ़ और सिर्फ़ आम जनता को बाँटने और आपस में लड़ाने के लिए खेली जाती है। भारत माता की रक्षा करने का दम्भ भरते हुए ये फ़ासीवादी उन्माद मचाते हुए देश की असली माताओं-बहनों के साथ कुकर्म कर रहे हैं। उनके देश की परिभाषा बस कागज़ पर बना एक नक्शा है। बढ़ते निरंकुश स्त्री-विरोधी अपराधों से यह ज़ाहिर हो जाता है कि संघियों की देश की परिभाषा में महिलाओं के लिए स्थान सिर्फ और सिर्फ एक भोग्य वस्तु का है। पूँजीवादी व्यवस्था और पितृसत्ता के चलते हमारा समाज जिस स्त्री-विरोधी मानसिकता से ग्रसित है उसके कारण फ़ासीवाद के इस दौर में स्त्रियों पर हमले और भी बर्बर, और भी निर्मम होते जा रहे हैं।
अगर इतना सब हो जाने के बाद भी इस देश की न्यायप्रिय और तर्कसंगत आबादी भाजपा के बलात्कारियों, दंगाइयों, भ्रष्टाचारियों और चोरों के ख़िलाफ़ आवाज़ नहीं उठाती तो आने वाला समय इससे भी ज़्यादा अंधकारमय साबित होगा। इस अँधेरे समय में हम आपका आह्वान करते हैं कि देश में बढ़ रहे स्त्री विरोधी अपराधों और दमितों के अधिकारों पर हो रहे फ़ासीवादी हमलों के ख़िलाफ़ एकजुट हो! लड़ाई लम्‍बी है और हम अभी लड़ना शुरू नहीं करेंगे तो बहुत देर हो जायेगी।

 नौजवान भारत सभा  दिशा विद्यार्थी संघटना  बिगुल मजदूर दस्ता  स्त्री मुक्ति लीग
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