हरियाणा राज्य परिवहन निगम कर्मचारियों की 16 व 17 अक्टूबर की हड़ताल के समर्थन में प्रदेश की जनता से ज़रूरी अपील!
हरियाणा राज्य परिवहन निगम यानी हरियाणा रोडवेज के कर्मचारी 16 व 17 अक्टूबर को राज्यव्यापी हड़ताल पर जा रहे हैं। हम आप सभी से अपील करते हैं कि रोडवेज कर्मचारियों का साथ दें, उनकी हड़ताल का समर्थन करें, उन्हें अपना भरपूर सहयोग दें। हम रोडवेज कर्मचारियों के समर्थन में ऐसा क्यों कह रहे हैं यह चीज़ हमारी निम्नलिखित बात से स्पष्ट हो जायेगी। आपसे अपील है कि इस अपील को ध्यानपूर्वक पढ़ें:-
सरकार द्वारा किया जा रहा रोडवेज का निजीकरण जनता के हितों पर हमला है!
हरियाणा प्रदेशवासियो! हरियाणा रोडवेज के कर्मचारी लम्बे समय के रोडवेज के निजीकरण के खिलाफ़ अपनी नौकरी तक को संकट में डालकर संघर्ष कर रहे हैं। आपको ज्ञात हो हरियाणा की मौजूदा खट्टर सरकार 720 प्राइवेट बसों को किलोमीटर स्कीम के तहत ठेके पर लेने पर तुली हुई है। जबकि इस समय रोडवेज के बेड़े में हज़ारों नयी बसों को शामिल करने की आवश्यकता है। रोडवेज के बारे में सरकार यह झूठ फैला रही है कि रोडवेज घाटे का सौदा है! सरकार रोडवेज के 680 करोड़ के घाटे का रोना रो रही है तथा रोडवेज विभाग को बदनाम कर रही है जबकि रोडवेज सरकारी खजाने को भरने में अपना सहयोग देती है। रोडवेज कर्मचारियों के मुताबिक नेताओं और अफ़सरशाही के घोटाले रोडवेज को घुन की तरह खा रहे हैं, इसके अलावा रोडवेज की बसों का यात्री सेवा से अलग कार्यों में भी इस्तेमाल होता है जो रोडवेज पर बोझ के समान है। असल में सच्चाई यह है सुविधाजनक यात्रा के लिहाज़ से रोडवेज जनता की पहली पसन्द है। यही नहीं हरियाणा के विभिन्न परिवहन मन्त्री रोडवेज की बेहतरीन यात्री सेवा के कारण राष्ट्रपति से क़रीब 7 बार पदक भी प्राप्त कर चुके हैं। तमगा लेते समय तो परिवहन मन्त्री मुँह चुपड़कर पहुँच जाते हैं किन्तु वैसे हरियाणा रोडवेज परिवहन निगम को ही बर्बाद करने में लगे रहते हैं। रोडवेज 22 श्रेणियों को यात्रा करने में किराया छूट की सुविधा प्रदान करती है जिसमें बुजुर्गों, बीमारों, छात्रों को यात्रा सेवा में छूट शामिल है तथा प्रदेश की करीब 80 हज़ार छात्राओं को हरियाणा रोडवेज निःशुल्क बस पास की सुविधा देती है। इस बात में कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी कि हरियाणा में लड़कियों के बड़ी संख्या में पढ़ाई करने के पीछे रोडवेज का अहम योगदान है। यदि यह सारी सब्सिडी जोड़ दी जाये तो यह करोड़ों में बैठती है। सरकार को चाहिए कि वह अन्य ऊल-जुलूल खर्चों में कमी करके हरियाणा रोडवेज की आर्थिक हालत को दुरुस्त करे। जब हरियाणा सरकार गीता की 1 पुस्तक के लिए 38 हज़ार खर्च करती है तब घाटा कहाँ चला जाता है? जब हरियाणा सरकार प्रवासी दिवस पर मेहमानों के लिए चाय के कप पर 407 रुपये, खाने की थाली पर 34 सौ रुपये और प्रति व्यक्ति शराब पिलाने पर 1388 रुपये खर्च करती है तब सरकार को घाटा क्यों नहीं दिखता? जब हरियाणा सरकार के मन्त्रियों के द्वारा संसाधनों का बेजा इस्तेमाल किया जाता है और फर्जी लाखों किलोमीटर गाड़ियाँ दौड़ाई जाती हैं तब क्या सरकार को मोतियाबिन्द हो जाता है और यह भ्रष्टाचार का खुल्ला खेल दिखायी नहीं देता? असल बात यह है कि जनता को थोड़ी भी सुविधा मिलती देखकर सरकारों की जाड़ बजने लगती हैं और यह तब होता है जब जनता के हित में जनता द्वारा दिया गया टैक्स का पैसा ही खर्च होता है!
हरियाणा रोडवेज परिवहन निगम की हालत! युवाओं के रोज़गार पर सरकारी डाका!!
केन्द्र सरकार के ही नियम के अनुसार 1 लाख की आबादी के ऊपर 60 सार्वजनिक बसों की सुविधा होनी चाहिए। इस लिहाज से हरियाणा की क़रीब 3 करोड़ की आबादी के लिए हरियाणा राज्य परिवहन निगम के बेड़े में कम से कम 18 हज़ार बसें होनी चाहिए किन्तु फ़िलहाल बसों की संख्या मात्र 4200 है! हम आपके सामने कुछ आँकड़े रख रहे हैं जिससे ‘हरियाणा की शेरनी’ और ‘शान की सवारी’ कही जाने वाली रोडवेज की बर्बादी की कहानी आपके सामने ख़ुद-ब-ख़ुद स्पष्ट हो जायेगी। 1992-93 के समय हरियाणा की जनसंख्या 1 करोड़ के आस-पास थी तब हरियाणा परिवहन निगम की बसों की संख्या 3500 थी तथा इनपर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 24 हज़ार थी जबकि अब हरियाणा की आबादी 3 करोड़ के क़रीब है किन्तु बसों की संख्या 4200 है तथा इन पर काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 19 हज़ार ही रह गयी है। पिछले 25 सालों के अन्दर चाहे किसी भी पार्टी की सरकार रही हो लेकिन हरियाणा रोडवेज की सार्वजनिक बस सेवा की हालत लगातार खस्ता होती गयी है। रोडवेज की एक बस पर 6 युवाओं को रोजगार मिलता है यदि रोडवेज के बेड़े में 14 हज़ार नयी बसों को शामिल किया जाता है तो क़रीब 85 हज़ार युवा रोज़गार पायेंगे तथा आम जनता को सुविधा होगी वह अलग। सरकारों में बैठे लोग अपने लग्गू-भग्गुओं को लाभ पहुँचाने के मकसद से रोडवेज में निजीकरण को बढ़ावा दे रहे हैं। हरियाणा रोडवेज का निजीकरण सीधे तौर पर जनता के ऊपर कुठराघात साबित होगा। क्योंकि प्राइवेट बसों की स्थिति का सभी को पता है, ऊपर से इनमें काम करने वाले कर्मचारियों का प्राइवेट माफ़िया बिलकुल खून नोचोड़ लेते हैं। उन्हें नौकरी में न तो किसी तरह की सुविधा मिलती तथा न ही काम की पक्की गारण्टी होती। बस फ़ायदा जाता है सारा का सारा मालिक की जेब में और जनता को मिलता है ठेंगा।
हरियाणा रोडवेज कर्मचारी किसके लिए लड़ रहे हैं?
रोडवेज के कर्मचारी सरकार की निजीकरण की नीतियों के खिलाफ़ डटकर मुक़ाबला कर रहे हैं। 5 सितम्बर को हड़ताल पर गये कर्मचारियों पर सरकार ने एस्मा एक्ट (Essential Services Maintenance Act) लगा दिया। हड़ताल पर गये कर्मचारियों को पुलिस के द्वारा प्रताड़ित किया गया तथा कइयों को नौकरी से निलम्बित (सस्पेण्ड) कर दिया। जनता के हक़ में खड़े कर्मचारियों पर सरकार दमन का पाटा चला रही है। 10 सितम्बर को भी विधानसभा का घेराव करने जा रहे 20 हज़ार कर्मचारियों को जिनमें रोडवेज कर्मचारी भी शामिल थे का पुलिस दमन किया गया। पंचकुला में उनका स्वागत लाठी, आँसू गैस, पानी की बौछारों के साथ किया गया। मतलोडा कैम्प कार्यालय पर प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों का भी हरियाणा सरकार व पुलिस ने दमन किया जिसमें काइयों को गम्भीर चोटें आयी तथा 250 के क़रीब को एस्मा के तहत निलम्बित कर दिया तथा बहुतों पर झूठे मुकदमें भी दर्ज कर लिए गये। अब रोडवेज कर्मचारियों ने अपनी तालमेल कमेटी के आह्वान पर निजीकरण के खिलाफ़ 16-17 अक्टूबर को प्रदेशव्यापी हड़ताल का फैसला लिया है। निजीकरण के खिलाफ़ रोडवेज के कर्मचारी असल में अपने लिए नहीं बल्कि जनता के फ़ायदे के लिए लड़ रहे हैं।
रोडवेज कर्मचारियो संघर्ष करो! हम आपके साथ हैं!!
इतनी बात होने के बाद कोई भी जन-सरोकार रखने वाला व्यक्ति समझ सकता है कि हरियाणा रोडवेज के हमारे भाई और जुझारू साथी केवल अपने लिए ही नहीं लड़ रहे हैं। उनकी लड़ाई जनता के हक़ में है। अपनी नौकरी पर संकट लाकर, जान तक जोखिम में डालकर जब वे पुलिस की लाठी-गोली, आँसू गैस और पानी की बौछारों के सामने सीना तानते हैं तो इसमें उन्हें कोई मेडल नहीं मिलते बल्कि चोटें, जेल और नौकरी से निष्कासन ही मिलते हैं। अतः हमारा-आपका यानी आम जनता का यह फर्ज बनता है कि वह हरियाणा रोडवेज कर्मचारियों के साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर उठ खड़ी हो। निजीकरण के खिलाफ़ जनता का साझा संघर्ष आज वक्त की ज़रूरत है। एक-एक करके सरकार हर सार्वजनिक क्षेत्र को निजी हाथों में सौंप रही है। शिक्षा-स्वास्थ्य तथा अन्य ज़रूरी सुविधाएँ यदि सरकार हमें नहीं दे सकती तो फिर वह है ही किसलिए? यदि उसका काम मुट्ठी भर धन्नासेठों को ही फ़ायदा पहुँचाना है तो फिर जनता से बेशुमार टैक्स किसलिए निचोड़ा जाता है। रोडवेज का निजीकरण जनता के हितों पर सरकार का सीधा हमला है जिसका मुँहतोड़ जवाब रोडवेज कर्मचारियों के साथ एकता बनाकर जनता को देना चाहिए।
अपीलकर्ता :- दिशा छात्र संगठन, नौजवान भारत सभा, बिगुल मज़दूर दस्ता