‘नौजवान भारत सभा’ की अाशंकाओं को सही साबित करते हुए आज होलम्‍बी कलां मेट्रो विहार फेस 2 में संघी गुंडा गिरोहों ने सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की पूरी कोशिश की

‘नौजवान भारत सभा’ की अाशंकाओं को सही साबित करते हुए आज होलम्‍बी कलां मेट्रो विहार फेस 2 में संघी गुंडा गिरोहों ने सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की पूरी कोशिश की, ल‍ेकिन वे कामयाब नहीं हो सके। आज होलम्‍बी कलां मेट्रो विहार फेस 2 में ‘बिलाल मस्जिद’ पर कुर्बानी की जगह बनाने के लिए लग रहे टेंट पर सुबह से ही बाहर से आए 40-50 लड़कों ने विरोध करना शुरू कर दिया। विश्‍वस्‍त सूत्रों से यह पता चला कि इन्‍होंने 24 तारीख की रात में मुंहामुंही प्रचार किया था कि 25…

नौजवान भारत सभा द्वारा जामिया नगर और उत्तर-पश्चिमी दिल्ली के इलाकों में शहीदेआज़म भगतसिंह के जन्म की 108वीं वर्षगाँठ (28 सितम्बर) के अवसर पर एक सप्ताह का पैग़ाम-ए-इंक़लाब मुहिम का आयोजन

‘शहीद भगतसिंह पुस्तकालय’ (मुंबई) का 28 सितम्बर को उद्धाटन

शहीद भगत सिंह के जन्मदिवस के अवसर पर ‘शहीद भगतसिंह पुस्तकालय’ का 28 सितम्बर को उद्धाटन साथियो भारत की आज़ादी के लिए मात्र 24 साल की उम्र में शहीद होने वाले भगतसिंह का 28 सितम्बर को 108वां जन्म दिवस है। उनकी शहादत को 84 वर्ष बीत चुके हैं पर आज भी देश की मेहनतकश जनता के हालात को देखकर कहा जा सकता है कि जिस सपने के लिए उन्‍होंने जान दी थी वह अधूरा है। आज भी देश की 80 फीसदी जनता ग़रीबी का दंश झेल रही है। शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य…

The Hindutva conspiracies of fomenting communal tension in Delhi

Continued attempts of Hindutva fascists of fomenting communal tension in the workers’ colonies of North-West Delhi (Investigation report of Naujawan Bharat Sabha, North-West Delhi) 1.  Introduction In recent months the Hindutva fundamentalist forces are involved in fomenting communal tensions and paving the way for riots in the workers’ colonies of North-West Delhi in a very systematic and conspiratorial manner. There has been a surge in the number of RSS shakhas in the parks and on the vacant land of DDA in this area. At the same time the activities of…

दिल्ली की मज़दूर बस्तियों में साम्प्रदायिक तनाव भड़काने की हिन्दुत्ववादी साज़ि‍शें

आम जनता की एकजुटता पर साम्प्रदायिक शक्तियों के इस सुसंगठित-सुनियोजित हमले का मुकाबला करने के लिए हम सभी जनपक्षधर शक्तियों से एकजुट होने, सक्रिय होने, साम्प्रदायिक कट्टरपंथ के विरुद्ध व्यापक एवं सघन प्रचार अभियान चलाने तथा विशेष तौर पर मज़दूरों और युवाओं को तृणमूल स्तर पर संगठित करने का आह्वान करते हैं। हम अपील करते हैं कि सभी जनपक्षधर बुद्धिजीवी, मज़दूर संगठन और छात्र-युवा संगठन मिलकर दिल्ली पुलिस और सरकार पर साम्प्रदायिक गुण्डा गिरोहों के खिलाफ़ सख़्त क़दम उठाने के लिए ज़बर्दस्त जन दबाव बनायें।

अन्तरराष्ट्रीय स्त्री दिवस (8 मार्च) के 105 वर्ष पूरे होने के अवसर पर

हम बेहद बिगड़ चुके हालात में 105वें स्त्री दिवस पर पहुँचे हैं। यह दिन हमें हमेशा स्त्रियों की समानता, उनकी मुक्ति और उनके अधिकारों के लिए शानदार संघर्ष की याद दिलाता है। लेकिन आज के दौर में स्त्रियों के सामाजिक हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं। स्त्री-विरोधी अपराधों का ग्राफ़ लगातार बढ़ता ही जा रहा है। देश के किसी न किसी कोने से बलात्कार, एसिड हमले, दहेज के लिए हत्या और छेड़छाड़ के रूप में आये दिन भारतीय समाज की घृणित मर्दवादी मानसिकता की अभिव्यक्ति ख़बरों में आती रहती है। 16 दिसम्बर की घटना के बाद स्त्रियों के लिए सुरक्षा अध्यादेश 3 फरवरी 2013 को पास करवाया गया, लेकिन उसके बाद भी यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। भगाणा, बदायूँ, लखनऊ, ढण्डारी, रोहतक की घटनाएँ जनआन्दोलनों के दबाव के कारण तो सुर्खियों में आयीं भी लेकिन कई घटनाएँ तो दर्ज भी नहीं हो पातीं।

हरियाणा में बढ़ते स्त्री-विरोधी अपराधों के खि़लाफ़ आवाज उठाओ!!

हिन्दू धर्म के तमाम ठेकेदार आये दिन अपने बीमार मानस का परिचय देते रहते हैं, कपड़ों, रहन-सहन और बाहर निकलने को लेकर तो ये बेहूदा बयानबाजियाँ करते हैं लेकिन तमाम स्त्री विरोधी अपराधों के खि़लाफ़ बेशर्म चुप्पी साध लेते हैं। यह हमारे समाज का दोगलापन ही है कि पीड़ा भोगने वालों को ही दोषी करार दे दिया जाता है, नृशंसता के कर्ता-धर्ता अपराधी आमतौर पर बेख़ौफ़ होकर घूमते हैं।

दिल्ली विधानसभा चुनाव-2015 : जीते चाहे कोई भी, हारेगी जनता ही!

दिल्ली विधानसभा चुनाव की महानौटंकी पूरे ज़ोरों पर है। भाजपा, कांग्रेस से लेकर ‘आप’ में “तू नंगा-तू नंगा” का खेल शुरू हो गया है। लेकिन सभी जानते हैं कि इस चुनावी हम्माम में सभी नंगे हैं! भाजपा दिल्ली के लोगों से हवा-हवाई वायदे करते हुए अभी भी मोदी का “अच्छे दिन” का बासी पड़ चुका गाना गा रही है। ‘आम आदमी पार्टी’ (आप) अपनी सरकार के 49 दिनों के बारे में झूठा प्रचार करते हुए पाँच साल बने रहने की कसम खा रही है। कांग्रेस इस चूहा-दौड़ में अपने आपको सबसे पीछे पाकर सबसे ज़्यादा झूठे वायदे करने में लग गयी है। ऐसे में हमें फिर से चुनने के लिए कहा जा रहा है। चुनावी पार्टियों के इन हवाई दावों के बीच जब आज महँगाई आसमान छू रही है, थाली से दाल-सब्ज़ी गायब हो रही है; शिक्षा, चिकित्सा, रिहायश आम मेहनतकश आदमी की पहुँच से बाहर होता जा रहा है तो सवाल यह उठता है कि क्या हमारे पास चुनावों में वाकई कोई विकल्प है?

साम्प्रदायिक फ़ासीवादियों द्वारा जनता को बाँटने की साज़िश को नाकाम करो!

क्या आपने कभी सोचा है कि जिस समय देश में जनता बढ़ती कीमतों, बेकारी और बदहाली से तंगहाल हो, अचानक उसी समय ‘लव जिहाद’, ‘घर वापसी’ और ‘हिन्दू राष्ट्र निर्माण’ का लुकमा क्यों उछाला जाता है जब चुनाव नज़दीक हों तभी अचानक दंगे क्यों होने लगते हैं जब जनता महँगाई और भ्रष्टाचार की मार से बदहाल होती है उसी समय साम्प्रदायिक तनाव क्यों भड़क जाता है क्या यह केवल संयोग है क्या आप आज़ादी के बाद कोई ऐसा दंगा याद कर सकते हैं जिसमें तोगड़िया, ओवैसी, सिंघल या योगी आदित्यनाथ जैसे लोग मारे जाते हैं क्या दंगों में कभी किसी कट्टरपंथी नेता का घर जलता है नहीं! दंगों में हमेशा हमारे और आपके जैसे आम लोग मारे जाते हैं, बेघर और यतीम होते हैं! जी हाँ! हमारे और आपके जैसे लोग जो अपने बच्चों को एक बेहतर ज़िन्दगी देने की जद्दोजहद में खटते रहते हैं! जिनके खाने की प्लेटों से एक-एक करके सब्ज़ी, दाल ग़ायब हो रहे हैं! जिनके नौजवान बेटे और बेटियाँ सड़कों पर बेरोज़गार घूम रहे हैं!

People in North-East Delhi give Befitting Rebuttal to Sangh Parivar’s Malicious Communal Fascist Designs

People of Khajoori thwarted the communal fascist designs of Sangh Parivar and assembled in large numbers at the venue,which the RSS men have been tying to monopolise of late. Hundreds of people, including women and children, were present throughout the programme braving the severe cold. The thought behind the programme was to remember the legacy of people’s unity our revolutionaries have left behind and spread their message among the people so that one doesn’t get swayed by the present fascist communal propaganda of dividing people on religious lines.