साथियो, फ़ासीवादी भाजपा के सत्ता में बैठे एक दशक से ज़्यादा समय बीत चुका है। इस एक दशक में भाजपा और संघ परिवार ने बहुत व्यवस्थित ढंग से राज्य और समाज के ढाँचे का फ़ासीवादीकरण करने का हर सम्भव प्रयास किया है। योजनाबद्ध ढंग से नये-नये साम्प्रदायिक प्रोजेक्ट खड़े करके पूरे समाज में नफ़रत का माहौल बनाया जा रहा है। साम्प्रदायिक उन्माद पैदा करने वाली बयानबाज़ियों से लेकर गोदी मीडिया द्वारा नफ़रती उन्माद पैदा करने वाले कार्यक्रमों और ख़बरों का प्रसारण करने, धार्मिक पहचान को मुद्दा बनाकर विभाजन पैदा करने वाले काले क़ानूनों को लागू करने, मॉब लिंचिंग की घटनाएँ, मुस्लिम बहुल इलाक़ों में साम्प्रदायिक उन्माद फैलाने वाले गीत बजाते हुए जुलूस निकालने आदि से हमारे समय की एक वीभत्स तस्वीर तैयार हो रही है।सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिये गये फ़ैसलों से पूजा स्थल अधिनियम के अप्रभावी हो जाने के बाद विभिन्न मस्ज़िदों के नीचे हिन्दू धार्मिक स्थलों की तलाश करने के नाम पर उन्माद फैलाने का एक नया टूल साम्प्रदायिक फ़ासीवादी ताक़तों के हाथ लग गया है। इस टूल का इस्तेमाल करके बनारस और मथुरा से लेकर अज़मेर शरीफ़ और सम्भल तक में लगातार साम्प्रदायिक नफ़रत फैलायी जा रही है। इस्लामिक धार्मिक स्थलों में घुसकर आरती करने और हनुमान चालीसा का पाठ करने जैसी घटनाओं को व्यवस्थित ढंग से अंज़ाम दिया जा रहा है ताकि यह साम्प्रदायिक फ़ासीवादी प्रोजेक्ट ज़ोर-शोर से चलता रहे। हाल ही में आयी इण्डिया हेट लैब की एक रिपोर्ट के अनुसार देश में 2023 की तुलना में 2024 में हेट स्पीच के मामलों में 74 फ़ीसदी की वृद्धि हुई है। इनमें से 80 फ़ीसदी घटनाएँ भाजपा शासित राज्यों में हुई हैं। ख़ुद प्रधानमंत्री मोदी इसमें शामिल रहे हैं। यही रिपोर्ट यह भी बताती है राजस्थान के बाँसवाड़ा में मोदी द्वारा साम्प्रदायिक नफ़रत से भरा हुआ भाषण देने के बाद हेट स्पीच के इन मामलों में बहुत तेज़ी से वृद्धि हुई।
